Zelensky Trump clash : यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने भारत और चीन पर रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। ट्रंप ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि भारत और चीन, रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदकर इस युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहे हैं।इन आरोपों का जवाब देते हुए जेलेंस्की ने साफ कहा, “भारत हमारे साथ है” और यह संकेत दिया कि भारत का रुख युद्ध के पक्ष में नहीं बल्कि शांति और स्थिरता के पक्ष में है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की तेल खरीद, उसकी राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों से जुड़ी हुई है, जिसे गलत रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
यूरोप से भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने की अपील
जेलेंस्की ने यूरोपीय देशों से अपील की कि वे भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करें। उन्होंने कहा कि भारत एक वैश्विक शक्ति है और वर्तमान संघर्षों के बीच शांति की दिशा में एक अहम भागीदार हो सकता है।उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ऊर्जा को लेकर कुछ वैश्विक स्तर पर चुनौतियाँ हैं, लेकिन इनका समाधान कूटनीति और सहयोग के माध्यम से संभव है। जेलेंस्की का यह बयान स्पष्ट करता है कि वह भारत को युद्ध में फंडिंग करने वाला देश नहीं, बल्कि शांति का समर्थक मानते हैं।
चीन से रूस पर दबाव बनाने की मांग
अपने बयान में जेलेंस्की ने चीन को लेकर भी एक अहम टिप्पणी की। उन्होंने बीजिंग से अपील की कि वह रूस पर युद्ध रोकने के लिए दबाव बनाए। हालांकि चीन ने खुद को इस संघर्ष में तटस्थ बताया है, लेकिन कीव लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि चीन ने रूस को ऐसे हथियार उपलब्ध कराए हैं जिनका उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा सकता है।जेलेंस्की ने कहा, “चीन एक शक्तिशाली राष्ट्र है और इस संघर्ष में उसका प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है। रूस अब कई मामलों में चीन पर निर्भर होता जा रहा है, ऐसे में अगर बीजिंग चाहे तो इस युद्ध को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।”
भारत की स्थिति को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता
भारत ने शुरू से ही रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर तटस्थ लेकिन संतुलित रुख अपनाया है। रूस से तेल खरीदने पर भारत ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय देश की ऊर्जा सुरक्षा और आम जनता के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है। अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद भारत ने हर मंच पर शांति स्थापना और कूटनीतिक समाधान की वकालत की है।
