Trump Tariff:ब्राजील में आयोजित BRICS 2025 शिखर सम्मेलन में जब ईरान पर अमेरिका और इजरायल द्वारा किए गए सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की गई, तब अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों के प्रबल दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और आक्रामक बयान जारी किया। उन्होंने BRICS में शामिल देशों को 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, खासतौर पर उन देशों पर जो अमेरिका-विरोधी नीति का समर्थन करते हैं।ट्रंप ने साफ कहा कि यदि कोई देश अमेरिका के खिलाफ जाता है या उसके विरोधियों का समर्थन करता है, तो उस पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ा दिया जाएगा। इस बयान से वैश्विक व्यापार में तनाव और अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है।
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क्या भारत भी आ सकता है टैरिफ के दायरे में?
भारत BRICS का एक प्रमुख सदस्य है और उसने ब्राजील समिट में न केवल ईरान पर हमलों की निंदा की, बल्कि आतंकवाद के मामलों में दोहरे मानदंड अपनाने के खिलाफ भी आवाज उठाई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में वैश्विक दक्षिण के देशों पर होने वाले हमलों की आलोचना करते हुए अमेरिका का नाम लिए बिना इशारों में कटाक्ष किया।हालांकि भारत का अमेरिका से रणनीतिक और आर्थिक सहयोग भी मजबूत है, लेकिन BRICS की संयुक्त घोषणा में अमेरिका द्वारा की जा रही अंधाधुंध टैरिफ वृद्धि की आलोचना भी की गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ट्रंप यदि दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारत भी उनके टैरिफ के निशाने पर आ सकता है?
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BRICS की संयुक्त घोषणा
ब्रिक्स के दस सदस्य देशों—भारत, चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, इथियोपिया, मिस्र, इंडोनेशिया और यूएई—ने अपने संयुक्त घोषणापत्र में वैश्विक व्यापार में अनुचित बाधाएं और मनमाने टैरिफ को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बिना अमेरिका का नाम लिए यह संकेत दिया कि एकतरफा नीतियों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को नुकसान पहुंच सकता है।घोषणा में कहा गया:”हम वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाले एकतरफा शुल्क और संरक्षणवादी नीतियों को अस्वीकार करते हैं। इससे न केवल विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि वैश्विक स्थिरता भी खतरे में पड़ती है।”
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भारत के लिए क्या हैं संभावित असर?
भारत पहले ही अमेरिका के कुछ शुल्कों का सामना कर चुका है, खासकर स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की स्थिति में यदि भारत के BRICS में लिए गए रुख को अमेरिका-विरोधी माना गया, तो नए टैरिफ लागू किए जा सकते हैं। इसका असर भारतीय आईटी, फार्मा, वस्त्र और ऑटो निर्यात पर पड़ सकता है।