Nobel Peace Prize 2025 : अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर चर्चित हो रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की दावेदारी इस बार सफल नहीं होने वाली है। नॉर्वे के नोबेल समिति ने साफ तौर पर यह स्पष्ट किया है कि इस वर्ष गाजा में हुए शांति समझौते को नोबेल पुरस्कार के निर्णय में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि यह समझौता इस सप्ताह की शुरुआत में ही अंतिम रूप दिया गया है, इसलिए इसकी स्थिरता और प्रभाव पर अभी निर्णय लेना संभव नहीं है।
नोबेल पुरस्कार पर कोई असर नहीं
नोबेल समिति की सदस्य निना ग्रेगर ने कहा है, “गाजा में जो सीजफायर हुआ है, उसे इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के निर्णय में शामिल नहीं किया जाएगा क्योंकि यह समझौता हाल ही में अंतिम रूप दिया गया है। हालांकि यदि यह शांति स्थायी साबित होती है, तो अगले साल ट्रंप की दावेदारी और मजबूत हो सकती है।”इस बयान से साफ होता है कि गाजा शांति समझौते का प्रभाव इस वर्ष के पुरस्कार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन भविष्य में इसका असर जरूर हो सकता है।
ट्रंप की नोबेल पुरस्कार के लिए लगातार लॉबिंग
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापित करने का दावा किया है। विशेष रूप से मध्य पूर्व के देशों के बीच हुए अब्राहम समझौते को उन्होंने अपनी बड़ी उपलब्धि माना है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि उनके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनाव कम हुआ था।
ट्रंप सक्रिय रूप से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए लॉबिंग कर रहे हैं और मीडिया में अपने दावों को बार-बार दोहरा रहे हैं। हालांकि, आलोचक इस दावे को राजनीतिक प्रचार का हिस्सा मानते हैं।
राजनीतिक विवादों के बीच ट्रंप की दावेदारी
ट्रंप की नोबेल पुरस्कार की दावेदारी राजनीतिक विवादों में घिरी हुई है। जहां उनके समर्थक उन्हें एक सफल शांति दूत मानते हैं, वहीं आलोचक उनके दावों को निराधार और प्रचारित उद्देश्यों से प्रेरित बताते हैं। नोबेल समिति भी इस बार स्पष्ट कर चुकी है कि बिना स्थायी शांति के, नोबेल पुरस्कार मिलना मुश्किल होगा।
अगले साल ट्रंप की दावेदारी और मजबूत हो सकती है
नोबेल समिति की सदस्य निना ग्रेगर ने कहा है कि यदि गाजा में स्थायी शांति स्थापित होती है और इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है, तो ट्रंप की दावेदारी 2026 में और मजबूत हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि नोबेल समिति अंतरराष्ट्रीय शांति के दीर्घकालिक प्रभावों को ज्यादा महत्व देती है, न कि केवल तात्कालिक समझौतों को।2025 के नोबेल शांति पुरस्कार में डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदें इस बार अधूरी रह सकती हैं क्योंकि गाजा शांति समझौता पुरस्कार के निर्णायक मानदंडों में शामिल नहीं है। लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और शांति क्षेत्र में उनके प्रयास भविष्य में उनकी दावेदारी को मजबूत कर सकते हैं। नोबेल समिति की प्राथमिकता स्थायी और दीर्घकालिक शांति पर रहती है, जो ट्रंप के इस वर्ष की उम्मीदों के लिए चुनौती है।

