Alexander Duncan: ट्रंप की पार्टी के नेता ने भगवान हनुमान को बताया ‘फर्जी देवता’, अमेरिका में हिंदू समुदाय में आक्रोश

Chandan Das
Alexander Duncan

Alexander Duncan: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के एक नेता अलेक्जेंडर डनकन के विवादास्पद बयान ने एक नया बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने भगवान हनुमान को “फर्जी हिंदू देवता” बताते हुए टेक्सास में स्थित उनकी भव्य प्रतिमा को हटाने की मांग की है। यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सामने आते ही अमेरिका और भारत दोनों ही जगहों पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है।

डनकन ने अपने पोस्ट में लिखा “एक फर्जी हिंदू देवता की मूर्ति को टेक्सास जैसे ईसाई राज्य में क्यों जगह दी जाए? हमें इसकी इजाज़त नहीं देनी चाहिए।”हालांकि, यह बयान संवैधानिक रूप से गलत है, क्योंकि अमेरिका एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां हर धर्म को समान अधिकार और सम्मान प्राप्त है। अमेरिका की संविधानिक व्यवस्था धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देती है।

भगवान हनुमान की प्रतिमा पर निशाना

जिस प्रतिमा को लेकर विवाद उठा है, वह टेक्सास में पिछले वर्ष स्थापित की गई थी। यह अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची हिंदू प्रतिमा है और हनुमान भक्तों के लिए श्रद्धा का बड़ा केंद्र बन चुकी है। इस मूर्ति का अनावरण एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के दौरान किया गया था।

हिंदू संगठनों ने जताई तीखी आपत्ति

अमेरिका स्थित कई हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं ने डनकन के बयान को हिंदू विरोधी और भड़काऊ बताया है। एक प्रमुख हिंदू संगठन ने X पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:“ अलेक्जेंडर डनकन का बयान न सिर्फ हेट स्पीच है, बल्कि यह अमेरिका के संवैधानिक मूल्यों का भी अपमान है। रिपब्लिकन पार्टी को ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए जो धार्मिक असहिष्णुता फैला रहे हैं।”

पहले भी सामने आ चुके हैं हिंदू विरोधी बयान

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप की पार्टी के नेताओं ने भारत या हिंदू धर्म को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। कुछ दिन पहले ही ट्रंप के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के ब्राह्मणों पर रूस से सस्ता तेल खरीदने का लाभ उठाने का आरोप लगाया था।

सोशल मीडिया पर रिपब्लिकन नेता की आलोचना

सोशल मीडिया पर लोग रिपब्लिकन नेता की आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि अमेरिकी संविधान हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। ऐसे में किसी धार्मिक मूर्ति को “फर्जी” कहकर उसका अपमान करना न केवल असंवैधानिक, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भी जन्म दे सकता है। अलेक्जेंडर डनकन का विवादास्पद बयान अमेरिका की धार्मिक सहिष्णुता और बहुलतावाद की छवि को ठेस पहुंचाता है। हिंदू समुदाय ने एक स्वर में इसकी निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की है। अब यह देखना होगा कि रिपब्लिकन पार्टी इस पर क्या रुख अपनाती है और अमेरिका के भीतर धार्मिक समरसता कैसे बनाए रखी जाती है।

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