Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में बीते कुछ दिनों की भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों की आजीविका पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 11 अक्टूबर को विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है। यह विरोध मार्च किसानों को आर्थिक राहत और कर्जमाफी दिलाने की मांग को लेकर आयोजित किया जाएगा। पार्टी प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने मुंबई में इसकी जानकारी दी।
उद्धव ठाकरे करेंगे किसानों की लड़ाई का नेतृत्व
संजय राउत ने कहा “मराठवाड़ा के हालात बेहद गंभीर हैं। किसानों की फसलें तबाह, जानवर बह गए, और जीवन यापन मुश्किल हो गया है। उद्धव जी किसानों के लिए आवाज उठाने के लिए 11 अक्टूबर को मराठवाड़ा में विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगे।” पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले ही 25 सितंबर को बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा कर चुके हैं और पीड़ित किसानों से मुलाकात कर चुके हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य सरकार से किसानों के लिए ₹50,000 प्रति हेक्टेयर की आर्थिक मदद और पूर्ण कर्जमाफी की मांग की है।संजय राउत ने कहा:“यह मदद PM CARES फंड से दी जानी चाहिए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर किसानों के लिए आर्थिक राहत पैकेज की मांग करनी चाहिए।”शिवसेना ने बीसीसीआई, मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और राज्य के उद्योगपतियों से भी किसानों की मदद के लिए आगे आने की अपील की है।
MVA का नहीं, शिवसेना UBT का अलग आंदोलन
राउत ने यह स्पष्ट किया कि यह आंदोलन महा विकास आघाड़ी (MVA) का हिस्सा नहीं है, बल्कि शिवसेना (यूबीटी) का स्वतंत्र विरोध मार्च है।उन्होंने कहा कि पार्टी का 11 अक्टूबर को पहले से एक कैम्प प्रस्तावित था, जिसे अब किसान विरोध मार्च में बदल दिया गया है।उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार द्वारा घोषित मदद किसानों तक नहीं पहुंची, तो वह दिवाली से पहले दोबारा मराठवाड़ा जाकर किसानों के बीच खड़े होंगे। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 20 सितंबर से जारी भारी बारिश और नदियों के उफान के चलते 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 30,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। मराठवाड़ा के जिलों में सड़कों, बिजली और जल आपूर्ति को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
मराठवाड़ा में किसानों की तबाही ने एक बार फिर सरकार की आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उद्धव ठाकरे के विरोध मार्च से राजनीतिक दबाव बढ़ेगा और संभव है कि सरकार किसानों के लिए राहत पैकेज पर विचार करे। फिलहाल, पीड़ित किसानों को त्वरित मदद और मुआवजे की दरकार है।
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