India US Trade: भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव या समय सीमा के तहत “बंदूक की नोक पर समझौता नहीं करेगा।”
अमेरिका के साथ बातचीत पर रुख स्पष्ट
पीयूष गोयल ने यह बयान जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित ग्लोबल डायलॉग सम्मेलन के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बातचीत जारी है, लेकिन भारत किसी भी जल्दबाजी या दबाव में आकर कोई समझौता नहीं करेगा। “हम अमेरिका से बातचीत ज़रूर कर रहे हैं, लेकिन हम जल्दबाजी में सौदे नहीं करते। न ही हम समय सीमा तय करके या बंदूक तानकर सौदे करते हैं।
गोयल ने कहा कि भारत की आर्थिक नीति दीर्घकालिक दृष्टिकोण से प्रेरित है, न कि अल्पकालिक दबाव से। उन्होंने बताया कि सरकार भारत के घरेलू बाज़ार को मजबूत करने और नए अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों की तलाश में लगी है।
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का दबाव
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर वार्ता चल रही है। अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत का मूल टैरिफ लगाया हुआ है, जबकि रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखने के कारण अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ भी लागू किया गया है। यानी कुल मिलाकर भारत को 50 प्रतिशत अमेरिकी आयात शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।भारत सरकार लगातार अमेरिकी प्रशासन से इन टैरिफ को घटाने की मांग कर रही है। हालांकि, पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत “झुकने वाला देश नहीं है” और अपने हितों की रक्षा करते हुए ही आगे बढ़ेगा।
‘लचीला आर्थिक ढांचा’ – गोयल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने अपने आर्थिक ढांचे को इतना मजबूत कर लिया है कि किसी भी व्यापारिक प्रतिबंध या टैरिफ का असर सीमित हो।“अगर हम पर कोई टैरिफ है, तो हम उससे निपटने के तरीके खोज रहे हैं। हम नए बाज़ारों की तलाश कर रहे हैं और घरेलू मांग को मज़बूत करने पर काम कर रहे हैं। गोयल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने “स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता” की दिशा में जो काम किया है, उसका असर अब वैश्विक व्यापारिक रिश्तों में भी दिख रहा है।
पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका व्यापार विवाद
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में कई मुद्दों को लेकर मतभेद रहे हैं जिनमें टैरिफ, कृषि उत्पादों पर कर, डिजिटल टैक्स और डेटा लोकलाइजेशन प्रमुख हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत को “ट्रेड बैलेंस” के लिए निशाने पर लिया गया था, जिसके बाद अमेरिका ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर भारी शुल्क लगा दिया था। भारत के सख्त रुख से यह साफ है कि वह अपने आर्थिक हितों और आत्मनिर्भरता की नीति से समझौता नहीं करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान भारत की वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र व्यापार नीति और मजबूत आर्थिक स्थिति का संकेत है।
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