UP Crime News: जिले के मानिकपुर क्षेत्र से एक चौंकाने वाली और दुखद घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने अपनी बेटी के साथ हुई छेड़खानी की शिकायत करने के कुछ दिन बाद आत्महत्या कर ली। महिला के परिजनों ने भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन पर समझौते के लिए दबाव डाला जा रहा था और धमकियां दी जा रही थीं।
11 अगस्त को दर्ज किया था छेड़खानी का मामला
महिला अपने बच्चों के साथ मानिकपुर में किराए के मकान में रह रही थी। 11 अगस्त को उनकी नाबालिग बेटी जब साइकिल से कोचिंग जा रही थी, तो अमित कोल नाम के युवक ने उसे रास्ते में रोककर छेड़खानी की और साइकिल से गिरा दिया। जब मां ने विरोध किया तो उसके साथ भी मारपीट की गई।इस घटना के बाद महिला ने थाने में अमित कोल के खिलाफ छेड़खानी और मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया। इसके कुछ ही समय बाद अमित कोल लापता हो गया।
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15 अगस्त को मिला एक शव
15 अगस्त को तुलसी जलप्रपात के पास एक युवक का शव बरामद हुआ, जिसकी पहचान अभी स्पष्ट नहीं हुई है। हालांकि, पुलिस के अनुसार शव के हाथ पर बना टैटू अमित से मेल खाता है। लेकिन अभी तक अमित के परिवार ने शव की पुष्टि नहीं की है।
भाजपा नेताओं पर समझौते का दबाव
परिजनों का आरोप है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद से भाजपा अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश सचिव आशीष कोल, मानिकपुर मंडल अध्यक्ष राकेश कोल, और जन अधिकार पार्टी के नेता शिवपूजन कोल बार-बार समझौते का दबाव बना रहे थे और एससी-एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी दे रहे थे।परिवार वालों ने बताया कि इन नेताओं की वजह से महिला मानसिक रूप से परेशान हो गई थी और इसी कारण बुधवार शाम को उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस ने दर्ज किया केस
मानिकपुर थाना प्रभारी श्रीप्रकाश यादव ने बताया कि मृतका के परिजनों की तहरीर के आधार पर आरोपी नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।
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राजनीतिक प्रतिक्रिया और बयान
भाजपा जिलाध्यक्ष महेंद्र कोटार्य ने मीडिया को बताया कि उन्हें घटना की जानकारी मिली है और वे जल्द ही संबंधित नेताओं से बातचीत करेंगे। वहीं, राकेश कोल ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह महिला को जानते तक नहीं हैं।
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न्याय की मांग, प्रशासन पर सवाल
यह घटना सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गई है। महिला की मौत के बाद स्थानीय लोग और परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। साथ ही, यह मामला उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और राजनीतिक प्रभाव पर सवाल खड़ा करता है।
