Brijesh Pathak Action:उत्तर प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सात सरकारी डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। ये डॉक्टर लंबे समय से ड्यूटी पर मौजूद नहीं थे और गैरहाजिरी की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। मिली रिपोर्ट के बाद ब्रजेश पाठक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश जारी किए।
बर्खास्त डॉक्टरों की पहचान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिन डॉक्टरों को बर्खास्त किया गया है, उनमें झांसी जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुल मिश्रा, अमेठी के बाजार शुक्ल न्यू सीएचसी के डॉ. विकास कुमार मिश्रा, अमेठी के जगदीशपुर न्यू सीएचसी के डॉ. विकास कुमार शर्मा, बरेली सीएमओ के अधीन डॉ. दीपेश गुप्ता, सीतापुर मिश्रिख सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रांत आनंद और हाथरस जिला अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद राफे शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग की प्रयासों के बावजूद मिली नहीं जवाब
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि कई बार इन डॉक्टरों से संपर्क किया गया और ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा गया, लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया। लगातार प्रयासों के बाद भी डॉक्टर अनुपस्थित रहे, जिससे स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जानकारी डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को दी।
दिया बर्खास्तगी का आदेश
मामले की गंभीरता को समझते हुए ब्रजेश पाठक ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी गैरहाजिर डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त करने के निर्देश जारी किए। डिप्टी सीएम का यह कदम स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन कायम करने और मरीजों को बेहतर सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त संदेश माना जा रहा है। यह कार्रवाई प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया एक अहम कदम है। सरकार की नीतियां अब साफ हैं कि कर्मचारी अगर अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करेंगे तो उन्हें बिना किसी रियायत के कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
आगे की कार्रवाई पर नजर
स्वास्थ्य विभाग अब इस दिशा में और भी कदम उठा सकता है ताकि ऐसी गैरहाजिरी को रोका जा सके और डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी के प्रति जिम्मेदार बनाया जा सके। आने वाले समय में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और मजबूत होगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि सरकारी सेवा में अनुशासन और जवाबदेही पहली प्राथमिकता होगी। यह कदम प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने में मददगार साबित होगा।
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