UP News: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में प्रदेश की पुलिस और कानून व्यवस्था पर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक ऑडियो-वीडियो पोस्ट कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह जताया। अखिलेश ने नए कार्यवाहक डीजीपी का स्वागत करते हुए कहा कि यह समय ईमानदार पुलिस की प्रशंसा करने का है, लेकिन साथ ही उन्होंने नये डीजीपी से शीघ्र और न्यायसंगत कार्रवाई की भी मांग की है।
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अखिलेश यादव ने एक्स पर क्या लिखा ?
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि नये डीजीपी को चाहिए कि वे इस सुनहरे मौके का लाभ उठाएं और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने चेतावनी दी कि ऑडियो को ‘एआई से छेड़छाड़’ बताकर किसी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता अब इन बहानों से तंग आ चुकी है और यह समय है कि तमंचे की नकली बरामदगी दिखाने और झूठे मुकदमे बनाने की साजिशों को उजागर किया जाए।
क्या है पूरा मामला?
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेठी के मुसाफिर खाना कोतवाली में तैनात दरोगा हेम नारायण सिंह का एक ऑडियो वायरल हुआ है। इस ऑडियो में दरोगा कथित तौर पर मुखबिर से तमंचा मांगते नजर आ रहे हैं ताकि थाने में मौजूद एक व्यक्ति को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेजा जा सके। इस वायरल ऑडियो को समाजवादी पार्टी प्रमुख ने साझा करते हुए प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए और नवागत डीजीपी से संज्ञान लेने की अपील की।
अमेठी पुलिस ने वायरल ऑडियो को लेकर जारी किया बयान
वहीं, अमेठी पुलिस ने इस वायरल ऑडियो के बाद अपने पक्ष में सफाई दी है। पुलिस के अनुसार, वायरल ऑडियो में जिस व्यक्ति की आवाज है, वह एक अपराधिक प्रवृत्ति वाला है। उसे 8 मई को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था और इसकी रिकॉर्डिंग पुलिस के पास उपलब्ध है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑडियो में जिस ब्राह्मण व्यक्ति को जेल भेजने की बात कही गई है, ऐसे किसी व्यक्ति को न तो थाने बुलाया गया है और न ही कोई चालान किया गया है।
राजनीतिक हलकों में बढ़ा तनाव
इस मामले ने प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस की निष्पक्षता पर राजनीतिक बहस छेड़ दी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की आलोचनाओं के बाद पुलिस प्रशासन को कड़ी निगरानी में रखा गया है। अब सभी की नजरें नवागत डीजीपी की कार्रवाई पर टिकी हैं कि वे इस मामले को किस तरह संभालते हैं। विपक्षी दल इस मामले को राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल मान रहे हैं।