UP News: मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत,  2 साल की सजा कर दी रद्द

Aanchal Singh
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UP News: यूपी के बाहूबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा अब्बास को दी गई सजा पर रोक लगा दी है. अब्बास से भड़काऊ भाषण देने के मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई थी. जज समरी जैन ने अब्बास की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के बाद सजा रद्द कराने का आदेश दिया.

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अधिवक्ताओं ने कोर्ट में की बहस

बताते चले कि, अब्बास की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र और उपेंद्र उपाध्याय ने कोर्ट में बहस की, जबकि सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और एजीए संजय सिंह ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सजा रद्द कर दी।

अब्बास की विधायक पद पर वापसी तय

अब्बास अंसारी मऊपुर सदर सीट से विधायक थे। 1 जून 2025 को उनकी विधायकी समाप्त हो गई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब्बास की सजा रद्द हो गई है, जिससे मऊपुर सीट पर उपचुनाव की जरूरत समाप्त हो गई और उन्हें विधायक पद पर वापस बहाल किया जाएगा।

भड़काऊ भाषण के मामले का विवरण

3 मार्च 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी ने एक चुनावी रैली में अधिकारियों को धमकी दी थी और कहा था कि उनके हिसाब-किताब किए जाएंगे। इसके बाद 4 मार्च 2022 को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी अब्बास अंसारी, उनके भाई उमर अंसारी समेत 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया।

सीजेएम कोर्ट ने सुनाई थी सजा

आपको बताते चले कि, 31 मई 2025 को सीजेएम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2 साल की सजा और 3 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उन्हें आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 189 (सार्वजनिक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी) में 2-2 साल की सजा, धारा 506 में 1 साल और धारा 171-एफ में छह महीने की सजा सुनाई थी।

सपा में शामिल होने के बाद राजनीति में सक्रिय

अब्बास अंसारी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनाव के बाद अब्बास सपा में शामिल हो गए थे। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा फिर से सक्रिय हो जाएगी और वह विधायक पद पर बने रहेंगे।

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