UP News: सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन के बयान से मचा बवाल, मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने दिया करारा जवाब

Aanchal Singh
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UP News: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं को लेकर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एस.टी. हसन (S.T. Hasan) का बयान नया विवाद खड़ा कर गया है। उन्होंने कहा कि इन आपदाओं के पीछे धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई एक वजह हो सकती है। एस.टी. हसन के मुताबिक, यह सब उस “इंसाफ” का नतीजा है, जिसे “दुनिया को चलाने वाला” करता है।

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शहाबुद्दीन रजवी ने किया पलटवार

एसटी हसन के बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड में आई त्रासदी एक प्राकृतिक आपदा है, और इसका किसी भी मजहब या धार्मिक भावनाओं से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में मजहबी तनाव बढ़ा सकती हैं।

‘आपदा को हिंदू-मुस्लिम रंग देना गैर जरूरी’ – मौलाना रजवी

शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि एसटी हसन का बयान गैर जिम्मेदाराना है और यह सिर्फ धर्म की आड़ में राजनीति करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी आफत है जो कभी हिंदू इलाके में आती है, तो कभी मुस्लिम इलाकों में। इसे मजहब से जोड़ना लोगों की नासमझी है। जो लोग हर चीज को धर्म के चश्मे से देखते हैं, वो समाज के लिए खतरा बन सकते हैं।”

‘खुदा से दुआ करें, ऐसे हादसे दोबारा न हों’ -मौलाना रजवी

मौलाना रजवी ने आगे कहा कि हमें ईश्वर या अल्लाह से प्रार्थना करनी चाहिए कि ऐसी आपदाएं भविष्य में किसी भी क्षेत्र में न हों. “ये आपदाएं जान और माल दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें मिलकर पीड़ितों की मदद करनी चाहिए, न कि उसे धर्म से जोड़कर बयानबाजी करनी चाहिए।”

क्या कहा था एसटी हसन ने?

आपको बता दे कि, अपने बयान में एसटी हसन ने दावा किया था, “उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाया गया है, जिसका परिणाम अब दिखाई दे रहा है। जब इंसाफ होता है तो फिर आदमी कहीं से भी नहीं बच पाता।” इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी प्रतिक्रिया और आलोचना हो रही है।

आपदा के समय में समाज का हर वर्ग एकजुट होकर राहत और पुनर्वास के लिए कार्य करता है। लेकिन कुछ राजनीतिक बयानों से माहौल खराब होने का खतरा बना रहता है। शहाबुद्दीन रजवी जैसे धार्मिक नेताओं की अपील यह संदेश देती है कि आपदा इंसानियत का मसला है, न कि धर्म का। ऐसे में संवेदनशीलता और संयम बरतना आवश्यक है।

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