UP Politics: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर दलितों के साथ भेदभाव करने और संकीर्ण वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक दल समय-समय पर लोगों से छलावा करते रहे हैं और ऐसे दलों से सावधान रहने की जरूरत है। मायावती ने यह प्रतिक्रिया अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दी, जहां उन्होंने एक विस्तृत पोस्ट के माध्यम से अपनी बातें रखी।
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बसपा सुप्रीमो ने कांशीराम के योगदान को याद किया
बताते चले कि, मायावती ने अपने पोस्ट में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बहुजन आंदोलन और कांशीराम के योगदान को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने कहा कि कांशीराम ने दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों को शोषित से शासक वर्ग बनाने का मिशन शुरू किया था। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का रवैया सदैव घोर जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है, जो सबके सामने है। उन्होंने सपा और कांग्रेस पर बहुजन मूवमेंट को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।
सपा प्रमुख की परिनिर्वाण दिवस की घोषणा पर मायावती ने उठाए सवाल
मायावती ने आगामी 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर समाजवादी पार्टी द्वारा संगोष्ठी आयोजित करने की घोषणा को छलावा करार दिया। उनका कहना था कि यह केवल दिखावा है और सपा की सच्चाई ‘राम बगल में छुरी’ वाली कहावत को चरितार्थ करती है। मायावती ने इस अवसर पर सपा की सच्ची नीयत पर सवाल खड़े किए हैं।
सपा सरकार पर कांशीराम के नाम को बदले जाने का आरोप
बसपा सुप्रीमो ने सपा सरकार द्वारा 2008 में बनाए गए कांशीराम नगर के नाम को जातिवादी सोच और राजनीतिक द्वेष के चलते बदलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि कांशीराम के नाम पर बने विश्वविद्यालय, कॉलेज, अस्पताल आदि संस्थानों के नाम भी सपा सरकार ने बदल दिए, जो उनकी दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। मायावती ने कहा कि यह सब कांशीराम और बहुजन समाज के प्रति अपमानजनक व्यवहार है।
राजकीय शोक न मनाने को दलित विरोधी रवैया बताया
मायावती ने यह भी कहा कि कांशीराम के निधन पर न तो सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में राजकीय शोक घोषित किया और न ही कांग्रेस की केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शोक मनाया। उन्होंने इसे दलित विरोधी सोच और चरित्र की पुष्टि बताया। मायावती ने कहा कि यह व्यवहार स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये दल अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए बहुजनों के प्रति कितने अनादरपूर्ण हैं।
‘वोटों की राजनीति के लिए कांशीराम को याद करना छलावा’
बसपा मुखिया ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे समय-समय पर वोटों की राजनीति के लिए कांशीराम को याद करते हैं, लेकिन उनका व्यवहार छलावा और दिखावा भर है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस संकीर्ण जातिवादी सोच वाले दलों से सावधान रहें और सतर्क रहें ताकि वे बहुजनों के हितों का सही प्रतिनिधित्व कर सकें।
मायावती का यह बयान राजनीतिक दलों के बीच दलित और पिछड़े वर्गों के मुद्दे पर जारी बहस को और भी गर्माता दिख रहा है। उनके आरोपों से सपा और कांग्रेस की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं और आगामी चुनावों में बहुजन समाज की राजनीति पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

