Illegal tariffs US:अमेरिका की एक अपील अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रंप ने जिन कानूनों का सहारा लेकर ये टैरिफ लगाए, वे उन्हें ऐसी असीमित शक्तियां प्रदान नहीं करते। अदालत का कहना है कि ट्रंप के पास हर आयात पर टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं था। कोर्ट ने इस फैसले को तुरंत लागू करने से रोक दिया है ताकि ट्रम्प सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती दे सकें। इससे ट्रम्प को एक और कानूनी लड़ाई लड़ने का समय मिल गया है। हालांकि, इस निर्णय ने ट्रंप की नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
ट्रंप ने फैसले की कड़ी आलोचना की
ट्रंप ने इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर ये टैरिफ हटा दिए गए तो इससे अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा को भारी नुकसान होगा। उनका तर्क था कि ये टैरिफ अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए जरूरी थे। अदालत ने साफ कहा कि टैरिफ लगाने का अधिकार केवल अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस के पास है। राष्ट्रपति के पास इस तरह की व्यापक शक्तियां नहीं हैं। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि व्यापारिक नीतियों में संसद की भूमिका सर्वोपरि है।
ट्रम्प ने चीन, कनाडा, मेक्सिको पर टैरिफ लगाए थे
ट्रंप प्रशासन ने चीन, कनाडा, मेक्सिको सहित कई देशों पर व्यापार घाटा और अन्य आर्थिक मुद्दों के चलते टैरिफ लगाए थे। उनका दावा था कि अमेरिका का बढ़ता व्यापार घाटा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, इसलिए उन्होंने ‘नेशनल इमरजेंसी’ घोषित कर टैरिफ लगाए। ट्रम्प ने टैरिफ लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का सहारा लिया था। उनका कहना था कि व्यापार घाटा अमेरिका के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति पैदा करता है और इसलिए टैरिफ लगाना जरूरी था।
कोर्ट ने IEEPA के मकसद को खारिज किया
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट लिखा कि 1977 में जब कांग्रेस ने IEEPA कानून बनाया था, तो इसका उद्देश्य राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने की शक्ति देना नहीं था। अदालत ने 7-4 के बहुमत से निर्णय देते हुए कहा कि यह शक्ति केवल संसद के पास है और राष्ट्रपति इसे स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं कर सकते।
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