US-Russia Relations: अमेरिका द्वारा रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद मॉस्को ने कड़ा रुख अपनाया है। रूस ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि इन प्रतिबंधों का उल्टा असर पड़ेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था को इसका खामियाजा रूस से कहीं ज्यादा भुगतना पड़ेगा।
रूस की सख्त प्रतिक्रिया “प्रतिबंध बेअसर रहेंगे”
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि वॉशिंगटन के ये कदम रूस को उसके राष्ट्रीय हितों से पीछे हटने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, “अमेरिका के ये दंडात्मक कदम न केवल बेअसर साबित होंगे, बल्कि ये पूरी तरह विपरीत परिणाम देंगे।”जाखारोवा ने स्पष्ट किया कि रूस बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन वह संवाद मीडिया बयानबाजी या राजनीतिक धमकियों के बजाय कूटनीतिक माध्यमों से होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की यह नीति यूक्रेन संघर्ष के समाधान की संभावनाओं को और कठिन बना रही है।रूस का कहना है कि उसने पिछले कई वर्षों में पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध क्षमता विकसित कर ली है। देश अब अपनी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जाखारोवा ने कहा, “हम अपनी आर्थिक और ऊर्जा क्षमता पर भरोसा रखते हैं और किसी भी बाहरी दबाव से डरने वाले नहीं हैं।”
चीन ने भी जताई नाराजगी
इस मुद्दे पर चीन ने भी अमेरिका को सख्त चेतावनी दी है। बीजिंग ने कहा कि अमेरिका के ये नए प्रतिबंध एकतरफा और गैरकानूनी हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ वेनबिन ने कहा, “अमेरिका को संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए, न कि धमकी और दबाव की नीति।”गुओ ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन यूक्रेन संकट का हिस्सा नहीं है और वह उन सभी कदमों का विरोध करता है जो चीनी कंपनियों के वैध हितों को नुकसान पहुंचाते हैं। चीन ने हाल ही में यूरोपीय संघ द्वारा चीनी कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों की भी कड़ी आलोचना की है।
रूस-चीन की बढ़ती नजदीकी, अमेरिका के लिए चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस और चीन की यह संयुक्त प्रतिक्रिया अमेरिका के बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ एक मजबूत रणनीतिक गठबंधन का संकेत है। दोनों देश पहले से ही डॉलर पर निर्भरता घटाने और वैकल्पिक व्यापार प्रणाली विकसित करने में जुटे हैं।
यदि रूस और चीन ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में अपना सहयोग और गहरा करते हैं, तो इससे पश्चिमी देशों की आर्थिक नीतियों पर दबाव बढ़ सकता है। विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रक्रिया से वैश्विक शक्ति संतुलन में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जिसमें एशियाई अर्थव्यवस्थाएं नई भूमिका निभा सकती हैं।अमेरिका के नए प्रतिबंधों ने रूस और चीन दोनों को एक बार फिर एक साझा मंच पर ला दिया है। रूस जहां आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं चीन खुलकर अमेरिका की एकतरफा नीतियों का विरोध कर रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक समीकरणों और शक्ति संतुलन में बड़े बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
