US Tariff On India: भारत और अमेरिका के टैरिफ विवाद के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीते काफी समय से देश पर तीखे प्रहार करते नजर आ रहे हैं। लेकिन इसी बीच विदेश से एक अच्छी खबर सामने आ रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने फिलहाल जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना को हटा दिया है। इस फैसले से भारत के दवा उद्योगो के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। दरअसल बात ये है कि अमेरिका में इस्तेमाल की जाने वाली ज्यादातर कम दामों वाली दवाइयां भारत से जाती हैं, तो भारतीय दवाओं की कीमत अमेरिकी बाजार में बढ़ जाती और उनकी मांग घट सकती थी, जिससे भारतीय फार्मा सेक्टर पर सीधा असर पड़ता।
Read more: Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? यहां देखें समय और सरल विधि
भारत का फार्मा उद्योग—दुनिया का ‘दवाखाना’
मेडिकल डेटा एनालिटिक्स कंपनी IQVIA की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग % जेनेरिक दवाएं भारत से ही निर्यात होती है। भारत की इसी हिस्सेदारी के कारण उसे “Pharmacy of the World” यानी दुनिया का दवाखाना बना दिया है। इसके साथ ही यहां के स्वास्थ क्षेत्र की बात करें तो भारत का अहम रोल माना जाता है। डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और एंटीबायोटिक जैसी जीवनरक्षक दवाओं का एक बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियां ही सप्लाई करती हैं। इन दवाओं की कीमतें अमेरिका में स्थानीय उत्पादन की तुलना में काफी सस्ती होती हैं, जिससे वहां के उपभोक्ताओं को भी राहत मिलती है।
टैरिफ पर ट्रंप प्रशासन का यू-टर्न क्यों?

एक रिपोर्ट की माने तों ट्रंप प्रशासन द्वारा जेनेरिक दवाओं और उनके कच्चे माल (API) पर टैरिफ लगाने की जांच शुरू की गई थी। जिसका उद्देश्य यह देखना था कि क्या विदेशी दवाओं पर अधिक शुल्क लगाकर उत्पादन को अमेरिका में वापस लाया जा सकता है। हालांकि जांच के बाद इस बात की खुलासा हुआ कि अगर टैरिफ से अमेरिका में दवाओं के लिए परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
ट्रंप की टैरिफ नीति
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति ने हाल के महीनों में वैश्विक स्तर पर हलचल मचाई है। पहले चीन पर भारी आयात शुल्क लगाने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ गया, जिससे अमेरिकी किसानों को बड़ा नुकसान हुआ। चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों की खरीद बंद कर दी, जिसके कारण वहां के कृषि बाजार में संकट गहराया। अगर यही नीति भारत पर लागू की जाती, तो अमेरिकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा असर पड़ता। भारत की सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के बिना अमेरिकी मरीजों को इलाज के लिए अधिक खर्च उठाना पड़ता।
भारतीय दवा उद्योग की मजबूत स्थिति
भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के उत्पादन और निर्यात में अग्रणी है। भारत न केवल अमेरिका बल्कि यूरोप, अफ्रीका और एशिया के देशों को भी सस्ती और प्रभावी दवाएं सप्लाई करता है। अमेरिकी बाजार भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जहां हर साल अरबों डॉलर की दवाएं भेजी जाती हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना को टालना भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए राहत और स्थिरता का संकेत माना जा रहा है। इस निर्णय से न केवल भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र को भी आर्थिक झटका लगने से बचाया गया है।
