US Tarrif War: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से ट्रेड डील (व्यापार समझौते) को लेकर गतिरोध बना हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। मंगलवार को नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के प्रतिनिधि उच्चस्तरीय बैठक करेंगे, जिसमें टैरिफ विवाद के साथ-साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर भी चर्चा होने की संभावना है।गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच पहले से ही पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन छठा दौर टैरिफ विवाद की वजह से रुक गया था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए जाने के बाद व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ गया था।
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अमेरिका ने भेजा ट्रंप का करीबी अधिकारी
इस बातचीत को फिर से पटरी पर लाने के लिए अमेरिका ने अपने मुख्य वार्ताकार और ट्रंप के करीबी अधिकारी ब्रेंडन लिंच को भारत भेजा है। ब्रेंडन लिंच भारत में वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत करेंगे। भारत की तरफ से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल, जो वाणिज्य मंत्रालय में विशेष सचिव हैं, बातचीत में शामिल होंगे।राजेश अग्रवाल ने बताया कि, “अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार (16 सितंबर) को भारतीय अधिकारियों से मिलेगा। हालांकि यह छठे दौर की वार्ता नहीं है, बल्कि व्यापारिक चर्चा का हिस्सा है, जिससे यह समझने की कोशिश की जाएगी कि आगे की बातचीत किस दिशा में जा सकती है।”वहीं, भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने उम्मीद जताई है कि बातचीत सकारात्मक माहौल में होगी और इससे दोनों देशों के रिश्ते बेहतर हो सकते हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का अब तक का घटनाक्रम
भारत और अमेरिका के बीच मार्च 2025 से पांच राउंड की बातचीत हो चुकी है। पहली बैठक 26 से 29 मार्च के बीच हुई थी। लेकिन इसके तुरंत बाद, 2 अप्रैल को ट्रंप ने सभी देशों पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लागू करने की घोषणा कर दी। भारत पर कुल मिलाकर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया।5 अप्रैल को यह टैरिफ औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया। इसके बाद, 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस के बीच मुलाकात हुई, जिसमें रिश्तों को सुधारने की चर्चा हुई।14 से 18 जुलाई तक पांचवां दौर आयोजित हुआ, लेकिन इसके तुरंत बाद फिर से टैरिफ बढ़ा दिया गया, जिससे व्यापारिक बातचीत रुक गई।
रूस से तेल खरीद पर टैरिफ बढ़ा, डील पर लगा ब्रेक
ट्रंप ने भारत पर शुरुआत में 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, लेकिन जब भारत ने रूस से तेल की खरीद जारी रखी, तो उस पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ और जोड़ दिया गया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच ट्रेड डील की बातचीत पूरी तरह ठप हो गई।
