JD Vance India Tariff: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हाल ही में एक साक्षात्कार में भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है। वेंस ने कहा कि भारत पर लगाए गए द्वितीयक टैरिफ रूस की तेल अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तहस-नहस कर देंगे। उनका दावा है कि इस आर्थिक दबाव के जरिए रूस को यूक्रेन पर अपना हमला बंद करना पड़ेगा और युद्धविराम के लिए सहमत होना होगा।
भारत पर टैरिफ का मकसद और अमेरिका की रणनीति
जेडी वेंस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका रूस पर सीधे आर्थिक प्रहार नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसने भारत पर टैरिफ लगाकर रूस को निशाना बनाया है। वेंस का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसकी युद्ध गतिविधियों को वित्तीय सहायता दे रहा है, इसलिए भारत पर टैरिफ लगाना जरूरी था। उन्होंने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने भारत पर पहले 25 प्रतिशत और फिर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर रूस की तेल आय पर असर डालने की कोशिश की है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका की मध्यस्थता
वेंस ने रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिकी मध्यस्थता को लेकर भी बात की और कहा कि दोनों पक्षों में बातचीत के लिए कुछ लचीलापन दिखा है। हालांकि वास्तविकता यह है कि रूस ने यूक्रेन के कई क्षेत्रों पर कब्जा मजबूत कर लिया है। पत्रकारों के सवालों पर वेंस ने जवाब दिया कि रूस को दबाने के लिए नई आर्थिक प्रतिबंध पहले ही लगाए जा चुके हैं, जिनमें भारत पर द्वितीयक शुल्क भी शामिल है। जेडी वेंस के बयान से यह साफ हो गया है कि रूस पर सीधा हमला न कर पाने का गुस्सा अमेरिका भारत पर निकाल रहा है। रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक चीन है, जिस पर अमेरिका कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। इसलिए वेंस का यह दावा कि भारत पर टैरिफ लगाना रूस की तेल अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा, कई विश्लेषकों ने निराधार बताया है।
भारत का जवाब और अपना रुख
भारत ने अमेरिका के इस दावे का कड़ा खंडन किया है। भारत ने कहा है कि रूस से तेल और गैस की खरीदारी यूरोपीय संघ, चीन और यहां तक कि अमेरिका भी कर रहे हैं। ऐसे में केवल भारत को निशाना बनाना अनुचित है। नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि देश अपनी आर्थिक प्राथमिकताओं के तहत सबसे किफायती स्थानों से तेल खरीदना जारी रखेगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बयान से अमेरिका की रूस-प्रतिकार रणनीति में भारत के प्रति गुस्सा और दबाव साफ दिखाई देता है। हालांकि भारत ने अपने हितों के अनुसार रूस से तेल खरीदना जारी रखने का साफ संदेश दिया है। यह विवाद भविष्य में भारत-अमेरिका संबंधों और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर प्रभाव डाल सकता है।
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