कांशीराम की पुण्यतिथि पर सभी दलों ने किया याद..

Aanchal Singh

Kanshi Ram Death Anniversary: बहुजन समाज पार्टी के सबसे महान नेता व संस्थापक कांशीराम का आज 9 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही हैं। (bsp)इस बार कांशीराम की पुण्यतिथि को परिनिर्वाण दिवस के रूप में मना रही हैं। कांशीराम को जब मायावती ने श्रद्धांजली दे रही थी, तब उन्होंने कहा कि बहुजन समाज को गुलामी से निकालने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। वही चुनाव से पहले सभी पार्टी के नेता ने उन्हें याद किया हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कांशीराम की मृत्यु 9 अक्टूबर 2006 नई दिल्ली में हुई थी।

दलितों के लिए किए कार्य

आपको बता दें जब इनकी पहली मुलाकात भीमरॉव अंबेडकर से हुई थी। तब कांशीराम इनके कार्यों से बहुत प्रभावित हुए थे। दरसल कांशीराम ने दलितों के लिए बहुत से नेक काम भी किए थे। साथ ही उन्होंने दलितों की बात को समाज में लाकर इज्जत दिलाने का भी काम किया था, और दलितों की चेतना को उभारकर उन्होंने समाज में परिवर्तन का भी काम किया था। इसलिए बसपा की सरकार (bsp) पार्टी को कांशीराम की विरासत समझती है।

मगर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कांशीराम आंदोलन करके दलितों की चेतना को उभारने में सफल रहे थे। वहीं नहीं कांशीराम बामसेफ का गठन भी किए, क्योंकि इस गठन में देशभर के अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को जोड़ना साथ ही बामसेफ का इस्तेमाल दलित शोषित समाज के लिए किया गया था।

1984 में किया पार्टी का गठन

आर्थिक रूप से शोषित और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों का व्यापक रूप प्राप्त होने के बाद कांशीराम ने अब तय कर लिया था, कि सामाज से पीड़ित दलितोंं के लिए एक राजनितिक पार्टी का आयोजन किया जाएगा। लेकिन 1984 में कांशीराम ने अपने सोचों कामो पर अमल कर बसपा पार्टी का निर्माण किया। साथ ही पार्टी बनाने के बाद उनका इरादा एक दम साफ था कि यह पार्टी सियासी मैदान में जरूर उतरेगी। वहीं अपनी पार्टी में कांशीराम ने अंबेडकर के नारे को भी अपनाए।

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करना पड़ा संर्घष

कांशीराम दलितों को समाज में न्याय दिलाने के लिए ऊंची चोटी तक का दम लगा दिए थे, और दलित के अधिकारों को दिलाने के लिए उन्हें काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई थी। फिर बाद में कांशीराम ने मयावती को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया था। वहीं देश की राजनीतिक धारा बदलने के लिए कांशीराम को बहुत से संर्घष करना पड़ा था। साथ ही कई ऐसी कठिन चुनौतियों का भी समाना करना पड़ा।

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