जानें चाय की दुकान से दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर ..

Aanchal Singh

Keshav Prasad Mauraya: उत्तर प्रदेश देश की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाता हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं, 80 सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग ही पहचान बनाई हैं। उत्तर प्रदेश के जाने माने नेताओं में एक हैं केसव प्रसाद मौर्य। जो वर्तमान में केसव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं।

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जानें केशव प्रसाद मौर्य का प्रारंभिक जीवन

बता दे कि केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई, 1969 में इलाहाबाद के कौशाम्बी जनपद के सिराथू में मौर्य परिवार में हुआ। केशव प्रसाद मौर्य का जन्म एक छोटे से परिवार में हुआ था। शुरुआत में केशव प्रसाद मौर्य अपने माता पिता के साथ कृषि कार्यों में हाथ बटाते थे, इन्होने चाय की दुकान भी चलायी और समाचार पत्र का विक्रय तक किया। मौर्य ने बचपन से ही बहुत सी कठिनाईयों का सामना किया हैं। यहीं कारण था कि इनको चाय और अखबार बेचना पड़ा।

केशव प्रसाद मौर्य का पारिवारिक परिचय

केशव प्रसाद मौर्य के पिता का नाम श्याम लाल मौर्य हैं। जो कि पेशे से किसान हैं। इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य हैं। मौर्य हिन्दू धर्मं के कुशवाहा समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं। उनकी पत्नी का नाम राज कुमारी देवी मौर्य हैं। इनके दो बेटे आशीष कुमार मौर्य और योगेश कुमार मौर्य हैं।

जानें केशव प्रसाद मौर्य का शिक्षा और राजनीतिक करियर

केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहबाद के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढाई की हैं। जिसके बाद वे शुरुआती करियर के दौरान बजरंग दल से भी जुड़े थे।

उत्तर प्रदेश देश की राजनीति में सबसे ज्यादा जाना पहचाना चेहरा माने जाते हैं केशव प्रसाद मौर्य, जो कि हिंदुत्व की राजनीति के लिए काफी मशहूर हैं। वे काफी लंबे समय से विश्व हिन्दू परिषद् के साथ रहे। इसके साथ ही उन्होंने 18 साल तक इसके लिए प्रचार प्रसार भी किया। केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे। इन दोनों संस्था में जुड़ने की वजह से इन्होंने राजनीतिक सफर में अपनी एक बढ़िया पहचान बनाई।

दोनों संस्था में जुड़ने की वजह से इनको राजनीति में कदम रखने में काफी मदद मिली। बता दे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के समय इन्होने राम जन्मभूमि आन्दोलन में बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

फिर इसके बाद इन्होंने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इन्होंने सबसे पहले ग़रीबी संघ और ओबीसी की सोच का रास्ता अपनाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर केशव प्रसाद मौर्य ने संस्था को मजबूत करने में एक बहुत ही अहम भूमिका निभाई। जिसकी वजह से आज भी जनता उनकी सराहना करती हैं। वहीं आपको बता दे कि इन्होने अपनी पहचान कौशाम्बी के बाहर तो बहुत अधिक नहीं बनाई है, लेकिन इनका हिंदुत्व इमेज कई हिदू संस्थाओं में बहुत अच्छे से जाना जाता हैं।

वहीं ये अपने शुरूआती करियर के दौरान बजरंग दल से भी जुड़े थे, और नगर कार्यवाह के पद पर काम कर रहे थे। बता दे कि केशव प्रसाद मौर्य ने गो- रक्षा आन्दोलन में भी बहुत बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया। साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा के पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया। इन्होंने कई ऐसे काम किए हैं जिसकी वजह से जनता का साथ इनके लिए हमेशा बना रहा, और राजनीति में तो सबसे अहम पड़ाव जनता का साथ ही होता हैं। जिसके बिना राजनीति अधूरी हैं।

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दो हार के बाद अपनी राजनीति की शुरुआत की

केशव प्रसाद मौर्य ने लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के बाद अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। उन्हें साल 2002 और साल 2007 में हार मिली थी। फिर जब 2014 में मोदी की लहर आई, तभी कई छोटें नेताओं को एक नई उम्मीद मिली। इसी उम्मीद में केशव प्रसाद मौर्य को एक नई लहर मिली। जिसकी वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव में जीत भी मिली।

माफिया अतीक़ के खिलाफ BJP उम्मीदवार का चुनाव लड़े

केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से अपनी राजनीति की शुरुआत की। सबसे पहले मौर्य ने 2002 में माफिया अतीक़ अहमद के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़े थे। जिसमें वे चौथे स्थान पर रहे। लेकिन फिर भी केशव प्रसाद मौर्य ने कठोर मेहनत और लगन से राजनीतिक सफर की ऊंचाईयों पर चढ़ने के लिए काम करते रहे।

2007 में मौर्य ने यूपी की विधानसभा सीट से लड़े

साल 2002 के बाद साल 2007 में मौर्य ने यूपी की विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। जिसके कारण उनको काफी निराशा हुई लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और वे लगातार आगे बढ़ने का प्रयास करते रहे। जिसकी वजह से उन्हें आगे सफलता भी प्राप्त हुई।

सिराथू से वे पहली बार विधायक चुने गए

2007 में भी सफलता न मिलने पर एक बार फिर से मौर्य ने 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र सिराथू से वे पहली बार विधायक चुने गए। तब सबसे खास बात यह थी कि, उस समय वे इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों इलाहाबाद प्रतापगढ़ कौशाम्बी और फतेहपुर से एकलौते भाजपा विधायक चुने थे।

2017 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की

बता दे कि 2016 में केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद उनको 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा सीट से खड़ा किया गया। जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। ये जीत उनके लिए काफी अहम थी। उनके लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि यूपी जैसे राज्य में इतनी आसानी से जीत हासिल करना कोई छोटी बात नहीं।

फिर जब चुनाव के नतीजे सामने आए, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाना जाता है।

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