Uttarakhand Panchayat Election 2025: उत्तराखंड में राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने पंचायत चुनावों के लिए विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। आगामी पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। इन चुनावों में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य जैसे चार महत्वपूर्ण पदों के लिए मतदान कराया जाएगा।
इस बार इतने पदों के लिए होगा चुनाव
आपको बता दे कि, राज्यभर में कुल 74,499 ग्राम प्रधान, 55,600 ग्राम पंचायत सदस्य, 2,974 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 358 जिला पंचायत सदस्य चुने जाएंगे। यह आंकड़ा पंचायत चुनावों के व्यापक स्वरूप को दर्शाता है, जिससे ग्रामीण राजनीति में नई हलचल देखने को मिलेगी।
नामांकन से लेकर नाम वापसी तक की पूरी समय-सारणी घोषित
चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 23 जून को जिला निर्वाचन अधिकारी अधिसूचना जारी करेंगे। इसके बाद 25 जून से 28 जून तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया 29 जून से 1 जुलाई के बीच संपन्न की जाएगी, जबकि 2 जुलाई नाम वापसी की अंतिम तिथि तय की गई है।
अलग-अलग तिथियों पर होगा सिंबल आवंटन
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण के लिए चुनाव चिन्ह (सिंबल) का आवंटन 3 जुलाई को किया जाएगा और मतदान 10 जुलाई को होगा। वहीं, दूसरे चरण के लिए चिन्हों का आवंटन 8 जुलाई को होगा और मतदान 15 जुलाई को कराया जाएगा। दोनों चरणों की मतगणना एक साथ 18 जुलाई को होगी।
चुनाव की तैयारियां तेज, आदर्श आचार संहिता लागू
निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने जानकारी दी कि पंचायत चुनावों की तैयारियां युद्धस्तर पर की जा रही हैं। सभी जिलों को निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही आदर्श आचार संहिता को भी लागू कर दिया गया है, ताकि आचार संहिता का उल्लंघन न हो।
उम्मीदवारों से समय पालन की अपील
निर्वाचन आयोग ने सभी प्रत्याशियों से अपील की है कि वे तय समयसीमा का पालन करते हुए नामांकन और अन्य चुनावी प्रक्रिया पूर्ण करें। पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से निगरानी तंत्र को भी सक्रिय कर दिया गया है, जिससे गड़बड़ियों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
गांव-गांव में चुनावी हलचल
राज्य निर्वाचन आयोग की घोषणा के साथ ही प्रदेश भर में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। गांव-गांव में राजनीतिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं और संभावित प्रत्याशी सत्ता की चाबी हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। यह चुनाव केवल लोकतंत्र का पर्व नहीं बल्कि गांव की सरकार तय करने वाला बड़ा मौका भी होगा।
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