Valmiki Jayanti 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर एक सख्त और स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भगवान राम का अपमान करना, भगवान वाल्मीकि का अपमान करने के बराबर है। मुख्यमंत्री का यह बयान उन तत्वों के खिलाफ आया है जो समाज में द्वेष फैलाने के लिए धार्मिक महापुरुषों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का उपयोग करते हैं।
सीएम योगी मंगलवार को चित्रकूट में आयोजित एक भव्य वाल्मीकि जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि केवल एक महान ऋषि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने वाले प्रथम कवि (आदिकवि) हैं।
“जो भगवान राम को गाली देता है, वो वाल्मीकि का भी अपमान करता है”
अपने भाषण में सीएम योगी ने कहा “आज कुछ लोग भगवान राम को गाली देकर समाज में ज़हर घोलने का काम कर रहे हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि भगवान राम और महर्षि वाल्मीकि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जो राम का अपमान करता है, वह स्वयं महर्षि वाल्मीकि का भी अपमान करता है।”उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपरा में ऐसे ऋषियों और तपस्वियों का विशेष स्थान है, जिन्होंने समाज को नैतिकता, धर्म और मर्यादा का मार्ग दिखाया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:“महर्षि वाल्मीकि जयंती पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। उनके आदर्श और विचार सदैव समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। रामायण जैसे महान ग्रंथ की रचना कर उन्होंने मानवता को धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाया।”
महर्षि वाल्मीकि: रामायण के रचयिता
महर्षि वाल्मीकि को रामायण के रचयिता और आदिकवि के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में तप, साधना और लेखनी के माध्यम से राम के आदर्शों को विश्व भर में फैलाया। रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक आचार संहिता है, जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन देती है।
हर साल 7 अक्टूबर को चित्रकूट, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में वाल्मीकि जयंती बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। चित्रकूट में इस दिन एक भव्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं और भगवान राम के जीवन पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
सीएम योगी का यह बयान न सिर्फ धार्मिक आस्थाओं की रक्षा के लिए था, बल्कि यह भी संकेत है कि राजनीतिक बयानबाज़ी की आड़ में धार्मिक महापुरुषों का अपमान स्वीकार नहीं किया जाएगा। महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर देशभर में श्रद्धा, भक्ति और आभार का वातावरण देखा गया, जिसमें उनके जीवन और शिक्षाओं को याद किया गया।
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