वंदे मातरम विवाद: अमित शाह से बहस में क्यों तल्ख हुए खरगे? बोले— आपका भी समय आएगा…

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नई दिल्ली 
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष होने के मौके पर आज (मंगलवार (9 दिसंबर को) संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में भी चर्चा हो रही है। इसकी शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वंदे मातरम् को देश भक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताया और कहा कि जो लोग इस समय इसकी चर्चा करने के औचित्य और जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें अपनी सोच पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। शाह ने चर्चा के माध्यम से देश के बच्चे, युवा और आने वाली पीढ़ी यह बात समझ सकेगी कि वंदे मातरम् का देश को स्वतंत्रता दिलाने में क्या योगदान रहा है।
 
उन्होंने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस की एक बड़ी नेत्री ने इस विषय पर यह प्रश्न उठाया था कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने वंदे मातरम् को दो टुकड़े किए जिसके कारण बाद में देश का विभाजन हुआ। शाह के इस बयान पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे भड़क गए और उन्होंने गृह मंत्री के इस बयान का विरोध करने लगे। तभी राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने खरगे से कहा कि आपको बी बोलने का मौका मिलेगा, प्लीज बैठ जाइए।

हालांकि, खरगे इतने पर भी नहीं रुके और वह बोलते रहे। तब सत्ता पक्ष की तरफ से हो-हल्ला होने लगा। इसी बीच अमित शाह ने कहा, खरगे साहब आपका भी समय आएगा। आपको भी बोलने का बहुत समय मिला है। इसके बाद सभापति ने भी खरगे से फिर अनुरोध किया कि वो बैठ जाएं। इसके बाद खरगे शांत हो गए। इसके बाद चर्चा को आगे ढ़ाते हुए शाह ने कहा कि यह अमर कृति ‘‘भारत माता के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य के भाव जागृत करने वाली कृति है।’’

गृह मंत्री ने कहा कि जिन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि आज इस पर चर्चा क्यों की जा रही है, उन्हें अपनी समझ पर नये सिरे से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस चर्चा को पश्चिम बंगाल में होने जा रहे चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग बंगाल चुनाव से जोड़कर राष्ट्रीय गीत के महिमामंडन को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा में सोमवार को इस विषय पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर इस समय चर्चा कराये जाने की जरूरत पर प्रश्न उठाये थे। शाह ने कहा कि यह बात अवश्य है कि बंकिमचंद्र चटर्जी ने इस रचना को बंगाल में रचा था किंतु यह रचना न केवल पूरे देश में बल्कि दुनिया भर में आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों के बीच फैल गयी थी। उन्होंने कहा कि आज भी कोई व्यक्ति यदि सीमा पर देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देता है तो यही नारा लगाता है। उन्होंने कहा कि आज भी जब कोई पुलिसकर्मी देश के लिए अपनी जान देता है तो प्राण देते समय उसके मुंह में एक ही बात होती है, ‘वंदे मातरम्’।

शाह ने कहा कि देखते देखते आजादी के आंदोलन में वंदे मातरम देश भक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि ‘‘बंकिम बाबू’’ ने इस गीत को जिस पृष्ठभूमि में लिखा, उसके पीछे इस्लामी आक्रांताओं द्वारा भारत की संस्कृति को जीण-शीर्ण करने के प्रयास और ब्रिटिश शासकों द्वारा एक नयी संस्कृति को थोपने की कोशिशें की जा रही थीं। शाह ने कहा कि वंदे मातरम् के प्रति समर्पण की जरूरत, जब यह बना तब थी, आजादी के आंदोलन में थी, आज भी है और जब 2047 में महान भारत की रचना होगी, तब भी रहेगी।

 

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