Abu Azmi on Vande Mataram: संसद के दोनों सदनों में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर शुरू हुई विशेष चर्चा ने देश के राजनीतिक विमर्श को तेज कर दिया है। इस चर्चा के बीच, अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। इसी क्रम में, समाजवादी पार्टी (सपा) के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश के विकास के मुद्दों की अनदेखी कर रही है और जानबूझकर धार्मिक मुद्दों को उछाल रही है, जो देश के लिए बिल्कुल सही नहीं है।
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अबू आजमी ने मनमानी कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की
बताते चले कि, अबू आजमी ने आरोप लगाया कि मनमानी कार्रवाई, वोट चोरी और कानून व्यवस्था की बदहाली जैसे अहम प्रशासनिक मुद्दों की अनदेखी हो रही है, जबकि संसद में रोज़ाना ‘वंदे मातरम्’ पर बयानबाजी की जा रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “चर्चा तो विकास पर होना चाहिए, देश कर्ज में डूबता जा रहा है, चर्चा उस पर होना चाहिए।” उन्होंने धार्मिक भावनाओं के विषय में कहा, “आप रोज वंदे मातरम् चिल्लाओ, कौन मना कर रहा है, लेकिन किसी के धर्म में दखल देना ठीक नहीं।” आजमी ने वोट चोरी और एफआईआर जैसे लंबित मामलों पर सुनवाई न होने पर भी गुस्सा जताया और कहा, “ये सरकार की मनमानी चल रही है, एकतरफा चल रहा है मामला… अंधेर नगरी चौपट राजा।”
लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की चर्चा
दूसरी ओर, संसद के भीतर ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा पूरे जोर पर है। लोकसभा में सोमवार, 8 दिसंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन भाषण से इस ऐतिहासिक बहस की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री के भाषण का जवाब कांग्रेस की ओर से डिप्टी लीडर गौरव गोगोई और महासचिव प्रियंका गांधी ने दिया। संसद सदस्य राष्ट्रीय गीत को स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख प्रतीक के रूप में रेखांकित कर रहे हैं और इसकी ऐतिहासिक यात्रा के महत्व का उल्लेख कर रहे हैं। यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब देश में सांस्कृतिक और राजनीतिक विमर्श लगातार गरमाया हुआ है।
अमित शाह और जेपी नड्डा करेंगे समापन
आज, 9 दिसंबर 2025 को, राज्यसभा में भी ‘वंदे मातरम्’ पर यह चर्चा जारी है। चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इसके बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस 150 वर्ष की यात्रा पर समापन भाषण देंगे। वरिष्ठ नेताओं जैसे राधामोहन दास अग्रवाल, के लक्ष्मण, घनश्याम तिवारी और सतपाल शर्मा भी अपने महत्वपूर्ण विचार सदन में रखेंगे। एक ओर जहां संसद में देश की ऐतिहासिक विरासत पर जोर दिया जा रहा है, वहीं बाहर अबू आजमी जैसे विपक्षी नेता सरकार से विकास और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। इस प्रकार, देश के दो सबसे बड़े मंचों पर बहस के स्वर बिल्कुल अलग दिखाई दे रहे हैं।
