Varanasi: सावन माह के प्रमुख पर्व सावन पूर्णिमा पर शनिवार को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा का भव्य झूलनोत्सव उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा। इस अवसर पर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त सुबह से कतारबद्ध होकर बाबा के दर्शन करने पहुंचे। श्रद्धालु बेलपत्र, दूध-जल के साथ-साथ राखियां भी बाबा को अर्पित करते हुए अपनी भक्ति प्रकट कर रहे थे, जो इस पर्व की विशेष परंपरा है।
भव्य झूलनोत्सव

दोपहर 3 बजे काशीपुराधिपति बाबा अपने परिवार के साथ झूले पर विराजित होंगे। इस दौरान भक्तगण बाबा को झूला झुलाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहें। सावन मास में हर सोमवार को बाबा की अलग-अलग स्वरूपों में शृंगार झांकी सजाई जाती है, लेकिन सावन पूर्णिमा के दिन झूला शृंगार विशेष रूप से किया जाता है। यह आयोजन भक्तों के लिए एक पावन और अद्भुत अनुभव लेकर आता है, जिसमें वे पूरी श्रद्धा के साथ बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
विशेष सजावट और भक्तों का उत्साह
झूलनोत्सव के अवसर पर मंदिर परिसर में रंग-बिरंगी सजावट की गई, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और श्रद्धा से भर दिया। भक्त अपने परिवार और मित्रों के साथ बाबा के दरबार में पहुंचकर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस धार्मिक अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर में पुलिस बल तैनात किया गया जिससे किसी भी अव्यवस्था को रोका जा सके और दर्शन करने वालों को सुविधा मिल सके।
सावन पूर्णिमा का महत्व
सावन पूर्णिमा का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस दिन भक्तगण एक-दूसरे को राखियां बांधकर भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को और भी मजबूत करते हैं। इस तरह, सावन पूर्णिमा का झूलनोत्सव आध्यात्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक दृष्टि से भी गहन महत्व रखता है।
भक्ति और आस्था अनुभव
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मनाया जा रहा झूलनोत्सव भक्तों के लिए एक अनूठा अनुभव होता है, जो उनकी आस्था और भक्ति को और प्रगाढ़ करता है। सावन मास की इस खास पूर्णिमा पर बाबा का झूला झूलाना और पूजा-पाठ का आयोजन भक्तों के हृदय में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे उनके जीवन में खुशहाली और शांति आती है।

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