Vat Savitri vrat 2025: सनातन धर्म में कई ऐसे व्रत हैं जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से करती है। इन्हीं में से एक वट सावित्री व्रत भी है जो महिलाएं अपने पति लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए करती है।
वट सावित्री व्रत के दिन शिव पार्वती और वट वृक्ष की पूजा का विधान होता है। मान्यता है कि जो महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस बार वट सावित्री का व्रत 10 जून को किया जाएगा। ऐसे में अगर आप पहली बार वट सावित्री व्रत कर रही है तो इस दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
वट सावित्री व्रत की सरल पूजा विधि
अगर आप पहली बार वट सावित्री पूजा करने जा रही हैं, तो आपको कुछ जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए। जिससे आपको व्रत का पूरा फल प्राप्त होगा। वट सावित्री व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प करें।
इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें। उसकी जड़ में जल अर्पित करें और पेड़ के चारों ओर कच्चा सूत या कलावा बांधें। इसके बाद वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करें। अंत में आरती करके अगले दिन ग्यारह भीगे हुए चने खाकर अपने व्रत का पारण करें।
यहां जानें जरूरी नियम
वट सावित्री व्रत को निर्जल यानी बिना पानी के करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए। पूजा के बाद घर के सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन एक टोकरी में फल, पुष्प, अन्न या वस्त्र आदि को रखकर किसी गरीब या जरूरतमंद को दान जरूर करें ऐसा करना शुभ माना जाता है।
परिक्रमा की सरल विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा यानी दक्षिणावर्त में ही करना शुभ माना जाता है। वट वृक्ष की परिक्रमा करते वक्त सात बार धागा या कलावा पेड़ के चारों ओर लपेटना चाहिए। इस विधि से वट वृक्ष की परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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