Retail Inflation June 2024 :जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.08 प्रतिशत हो गई, जो पिछले चार महीनों का उच्चतम स्तर है। इस वृद्धि का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों, विशेष रूप से टमाटर और प्याज की कीमतों में हुई बढ़ोतरी है। शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।एनएसओ के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई 2024 में 4.8 प्रतिशत और जून 2023 में 4.87 प्रतिशत पर थी। आंकड़ों से पता चलता है कि जून महीने में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 9.36 प्रतिशत हो गई, जो मई में 8.69 प्रतिशत पर थी। यह वृद्धि खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में अचानक वृद्धि के कारण हुई है, जिसमें टमाटर और प्याज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

यह वृद्धि आम लोगों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे उनकी खर्च करने की क्षमता पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर खाद्य वस्तुओं की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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फलों के दामों में भी भारी उछाल
आपको बता दें कि‘अनाज और उत्पाद’ के अलावा फलों के दाम भी एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में महंगे बिके, एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि जून में ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 5.66 प्रतिशत रही जबकि शहरी भारत में महंगाई दर 4.39 प्रतिशत रही।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने खुदरा मुद्रास्फीति के इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जून में मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में आठ प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी। इस दौरान सब्जियों की कीमतों में तेजी से उछाल दर्ज की गई। हालांकि नायर ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थों को छोड़कर अन्य सभी उप-समूहों में मुद्रास्फीति जून में चार प्रतिशत से से नीचे ही रही।
ओडिशा में सबसे अधिक इंफ्लेशन, दिल्ली में सबसे कम
उन्होंने कहा, ‘यदि मानसून के बाकी वक्त में बारिश सामान्य रहती है और वर्षा वितरण भी अनुकूल रहता है तो खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निश्चित रूप से अनुकूल हो जाता है. वैश्विक या घरेलू स्तर पर कोई अन्य झटका नहीं लगने पर हम अक्टूबर 2024 में नीतिगत रुख में बदलाव और दिसंबर 2024 एवं फरवरी 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।’

एनएसओ के मुताबिक, जून में सबसे अधिक मुद्रास्फीति ओडिशा (7.22 प्रतिशत) और सबसे कम दिल्ली (2.18 प्रतिशत) में रही। एनएसओ साप्ताहिक आधार पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से आंकड़े जुटाता है।