Vice President Election 2025: भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सांसद मतदान करते हैं। वर्ष 2025 का उपराष्ट्रपति चुनाव भी इसी विधि से होने वाला है। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि इस चुनाव में सांसद कैसे मतदान करेंगे और मतदान की पूरी प्रक्रिया क्या होगी।
मतदान में शामिल सांसदों की संख्या
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में कुल 767 सांसद वोट डालेंगे। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद शामिल हैं। पहले कुल सांसदों की संख्या 781 थी, लेकिन चार राजनीतिक दलों के 14 सांसदों ने चुनाव का बहिष्कार किया है, जिसके कारण मतदान संख्या घटकर 767 रह गई है। बहिष्कार करने वाले दलों में बीजू जनता दल (BJD), भारत राष्ट्र समिति (BRS), शिरोमणि अकाली दल (SAD), और अकाली दल (वारिस पंजाब दे) शामिल हैं।
मतदान की प्रक्रिया
इस चुनाव में मतदान पूरी तरह गुप्त होगा और राज्यसभा के महासचिव PC मोदी, सहायक निर्वाचन अधिकारी गरिमा जैन और विजय कुमार इसे संचालित करेंगे। एनडीए ने पोलिंग एजेंट के रूप में किरेन रिजिजू, श्रीकांत शिंदे और राम मोहन नायडू को नियुक्त किया है।
मतपत्र में दो कॉलम होंगे। पहले कॉलम में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के नाम होंगे और दूसरे कॉलम में सांसद अपनी पसंद दर्ज करेंगे। मतदान के दौरान सांसद को उम्मीदवार के नाम के सामने ‘1’ या ‘2’ लिखना होगा, यानी पहली या दूसरी पसंद का चयन करना होगा। यह अंक इंटरनेशनल नंबर सिस्टम, रोमन संख्या या किसी भारतीय भाषा में भी लिखे जा सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि वोटर केवल अंकों में ही अपनी पसंद दर्ज कर सकते हैं, शब्दों में नहीं।
मतगणना की प्रक्रिया और विजेता का चयन
मतगणना की शुरुआत सभी बैलेट पेपर की छंटनी से होगी। इसमें वैध और अवैध मतपत्रों को अलग किया जाएगा। इसके बाद वैध मतों की कुल संख्या के आधार पर विजेता के लिए कोटा निर्धारित किया जाएगा। कोटा की गणना इस तरह होती है कि वैध मतों की संख्या को 2 से विभाजित करके एक जोड़ा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कुल वैध वोट 700 हैं, तो कोटा 351 होगा।
जो भी उम्मीदवार पहली पसंद के वोटों में इस कोटे से अधिक वोट प्राप्त करेगा, वह उपराष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित किया जाएगा। अगर कोई उम्मीदवार कोटा पूरा नहीं करता है, तो दूसरी पसंद के मतों के आधार पर आगे की प्रक्रिया बढ़ेगी।
चुनाव का बहिष्कार और इसके प्रभाव
चुनाव में बहिष्कार करने वाले चार दलों के 14 सांसद मतदान से दूर रहने की वजह से कुल वोटों की संख्या कम हो गई है। यह बहिष्कार चुनाव की रणनीतिक और राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है। इससे मतदान की संख्या घटेगी और चुनाव पर असर पड़ेगा।

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