Vijay Mallya: लंदन में रह रहे मशहूर शराब कारोबारी और आर्थिक भगोड़े विजय माल्या एक बार फिर से सुर्ख़ियों में हैं। हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने खुद पर लगे आरोपों पर खुलकर प्रतिक्रिया दी है। विजय माल्या ने साफ शब्दों में कहा, “मैं चोर नहीं हूं, मैंने कोई चोरी नहीं की है।” इस बयान के बाद भारत में फिर से उनकी वापसी और कानूनी स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई है।
भारत सरकार और न्यायिक व्यवस्था पर जताई नाराजगी
आपको बता दे कि, विजय माल्या ने भारत की सरकार और न्यायिक व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें भारत में निष्पक्ष सुनवाई और गरिमापूर्ण जीवन की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, “यदि मुझे निष्पक्ष न्याय और सम्मान से जीने का भरोसा दिया जाए, तो मैं भारत लौटने के बारे में सोच सकता हूं।” उन्होंने UK हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि भारत की जेलों की स्थिति यूरोपीय मानवाधिकार संधि के अनुच्छेद 3 का उल्लंघन करती है, इसी कारण उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया गया।
वैश्विक मंदी को ठहराया दोषी
विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की असफलता के लिए 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “उस वक़्त पूरा विश्व आर्थिक संकट में था, लेहमैन ब्रदर्स की विफलता इसका उदाहरण है। इसका सीधा असर एविएशन सेक्टर पर पड़ा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।” उनका कहना है कि ऐसे कठिन हालात में उन्होंने सरकार और बैंकों से समर्थन की उम्मीद की थी।
प्रणव मुखर्जी से हुई मुलाक़ात का किया जिक्र
विजय माल्या ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मिलकर अपने संकट की जानकारी दी थी। उन्होंने विमानों की संख्या घटाने और कर्मचारियों की छंटनी की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें सलाह दी गई कि ऐसा न करें। माल्या के अनुसार, उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि बैंक उनकी मदद करेंगे, लेकिन वादा निभाया नहीं गया। अंततः, किंगफिशर को अपनी उड़ानें रोकनी पड़ीं।
“कर्ज़ लिया, लेकिन इरादा गलत नहीं था”
विजय माल्या ने यह स्वीकार किया कि जब उन्होंने कर्ज़ लिया था, उस समय कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी, लेकिन उन्होंने कभी धोखाधड़ी नहीं की। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने परिस्थितियों से लड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वह सहयोग नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी।
एक बार फिर से छिड़ी बहस
विजय माल्या के इस इंटरव्यू के बाद भारत में एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है। भारत सरकार जहां उन्हें आर्थिक अपराधी और भगोड़ा घोषित कर चुकी है, वहीं माल्या खुद को हालात का शिकार बता रहे हैं। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या उनकी ये दलीलें भारत की कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकेंगी या नहीं।
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