Vinayak Chaturthi 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है, लेकिन विनायक चतुर्थी तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान श्री गणेश को समर्पित दिन है इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास आदि भी रखते हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत पूजन किया जाता है। अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली चतुर्थी को आषाढ़ विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जा रहा है, तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा विनायक चतुर्थी की तारीख और मुहूर्त की जानकारी प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
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विनायक चतुर्थी की तारीख और पूजा मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 जून दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि अगले दिन यानी की 29 जून दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 56 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा मध्याह्न काल यानी दोपहर में करना शुभ माना जाता है। इसलिए दिन के 11 बजकर 25 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक का मुहूर्त गणपति की पूजा अर्चना के लिए बेहद ही शुभ रहेगा।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
आपको बता दें कि विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण करें। अब पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और भगवान श्री गणेश का स्मरण करते हुए हाथ में जल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। फिर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कराएं।
भगवान गणेश जी के साथ रिद्धि सिद्धि और शुभ लाभ की भी स्थापना करें। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘वक्रतुंड महाकाय’ मंत्र जाप करते हुए भगवान का आह्वान करें। इसके बाद प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें। उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
प्रथम पूजनीय श्री गणेश को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और लाल चंदन या कुमकुम का तिलक भी लगाएं। इसके बाद गुड़हल और 21 दूर्वा अर्पित करें। फिर धूप दीपक जलाकर गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं। अब विधि विधान से प्रभु की पूजा करें साथ ही अपनी मनोकामना भी भगवान से कहें।


