Vodafone-Idea Shares:वोडाफोन आइडिया (VIL) के लिए हालात दिनोंदिन और कठिन होते जा रहे हैं। सोमवार को कंपनी के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी, और मंगलवार, 20 मई को भी 2.5% की और गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला है। दरअसल, वोडाफोन आइडिया ने 30,000 करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाये से राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया। इसके बाद से निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ और वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 8% की गिरावट आई।
क्या सरकार वोडाफोन आइडिया को बचा सकती है?

वोडाफोन आइडिया के सामने अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि सरकार उसे और कितना समर्थन दे सकती है। कंपनी ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर उसे सरकार से कोई अतिरिक्त समर्थन नहीं मिलता तो वह 2026 से आगे अपना संचालन जारी नहीं रख पाएगी। इस बीच, भारती एयरटेल के पूर्व सीईओ संजय कपूर ने वोडाफोन आइडिया की मौजूदा स्थिति को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा कि सरकार के पास पहले से बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी दो अन्य सरकारी कंपनियों की देखरेख की जिम्मेदारी है, ऐसे में वोडाफोन आइडिया में 51% हिस्सेदारी खरीदने की संभावना कम ही है।
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भविष्य में होगा सुधार?

संजय कपूर ने कहा कि भारत के टेलिकॉम मार्केट में दो प्रमुख ऑपरेटर, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, पहले ही अधिकांश बाजार हिस्से पर कब्जा जमाए हुए हैं। ऐसे में इन दोनों कंपनियों के लिए वोडाफोन आइडिया के साथ विलय करना या उसमें निवेश करना एक समझदारी भरा कदम नहीं हो सकता। कपूर के अनुसार, दोनों कंपनियां वोडाफोन आइडिया के बाजार हिस्से पर लगातार सेंधमारी कर रही हैं और ऐसे में उन्हें इस कंपनी को खरीदने या विलय करने का कोई फायदा नहीं दिखता।उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी वोडाफोन और आइडिया का विलय सफल नहीं रहा था, और ऐसा अनुभव भविष्य में इन कंपनियों को वोडाफोन आइडिया से जुड़ने में संकोच करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
क्या विदेशी ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया से जुड़ सकते हैं?

वोडाफोन आइडिया के पास अब एक और विकल्प यह है कि वह विदेशी टेलिकॉम ऑपरेटरों से साझेदारी की कोशिश करे। हालांकि, संजय कपूर ने इस पर भी सवाल उठाया। उनका कहना था कि वोडाफोन आइडिया ने वैश्विक ऑपरेटरों और निवेशकों से संपर्क किया है, लेकिन अभी तक किसी भी प्रमुख ऑपरेटर ने कंपनी में निवेश या साझेदारी की पहल नहीं की है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमेरिकी ऑपरेटरों की बात की, जो भारत में आकर चले गए। कपूर का कहना था कि, “यह विकल्प हमेशा उपलब्ध था, लेकिन वोडाफोन आइडिया के साथ किसी भी विदेशी ऑपरेटर को जुड़ते नहीं देखा गया है।”
वोडाफोन आइडिया के निवेशक?
संजय कपूर ने अंत में कहा कि वोडाफोन आइडिया के पास अब केवल एक विकल्प बचा है – वह यह कि कंपनी विदेशी ऑपरेटरों के साथ साझेदारी के लिए दरवाजे खोलने की कोशिश करे। हालांकि, उनके अनुसार, यह रास्ता भी सरल नहीं होगा और फिलहाल कंपनी की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि वोडाफोन आइडिया को किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है।कुल मिलाकर, वोडाफोन आइडिया के निवेशक और टेलिकॉम उद्योग दोनों के लिए आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि कंपनी को वित्तीय और रणनीतिक दृष्टि से गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है।