Vote Vibe Survey:कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के प्रमुख राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया कि वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। इसके विरोध में कांग्रेस ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भी शुरू की है। राहुल गांधी की इन टिप्पणियों पर चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विस्तार से स्पष्टीकरण दिया।
Read more : Kisan MahaPanchayat: दिल्ली में किसानों का जमावड़ा,जंतर-मंतर पर महापंचायत से बढ़ी सरकार की टेंशन
वोट वाइब सर्वे में सामने आई जनता की राय
राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग विवाद पर वोट वाइब (Vote Vibe) की ओर से एक व्यापक सर्वे किया गया जिसमें आम लोगों से उनकी राय पूछी गई। सर्वे में आए आंकड़े बताते हैं कि जनता इस मुद्दे पर साफ तौर पर दो धड़ों में बंटी हुई है:
34% लोगों ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया और चुनाव आयोग के पक्ष में अपना मत दिया।
28% लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग अपनी बात स्पष्ट करने में असफल रहा है।
18% लोगों ने कहा कि आयोग ने कुछ सवालों के जवाब दिए हैं, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं।
20% उत्तरदाता इस मुद्दे पर स्पष्ट राय नहीं दे सके।
इसका मतलब है कि केवल 34% लोग ही आयोग के पक्ष में खड़े हैं, जबकि शेष 46% या तो असंतुष्ट हैं या पूरी तरह से समर्थन नहीं कर रहे।
Read more : ICSI CS Result 2025: ICSI CS प्रोफेशनल और एग्जीक्यूटिव रिजल्ट आज, ऐसे करें चेक…
सी-वोटर के आंकड़े और भी चौंकाने वाले
इस विवाद पर सी-वोटर (C-Voter) ने भी एक अलग सर्वे किया था, जिसके नतीजे और भी दिलचस्प रहे। इसमें:
59% लोगों ने राहुल गांधी के आरोपों से सहमति जताई।
केवल 34% लोग ही चुनाव आयोग के पक्ष में खड़े दिखे।
67% लोगों का मानना है कि आयोग को राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए।
वहीं, केवल 13% लोग ही मानते हैं कि आयोग को जवाब देने की जरूरत नहीं है।
Read more : ICSI CS Result 2025: ICSI CS प्रोफेशनल और एग्जीक्यूटिव रिजल्ट आज, ऐसे करें चेक…
क्या कहती है ये तस्वीर?
इन दोनों सर्वे से स्पष्ट होता है कि जनता का बड़ा वर्ग चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। खासकर तब जब देश में चुनाव पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों को एक बड़ा जनसमूह नजरअंदाज नहीं कर पा रहा है।वहीं दूसरी ओर, चुनाव आयोग पर विश्वास करने वालों की संख्या भी कम नहीं है, लेकिन यह साफ है कि आयोग को इस विषय पर और ज्यादा पारदर्शिता बरतनी होगी।
