VP Election 2025 Result : भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बड़ी और उम्मीद से ज्यादा अंतर से जीत दर्ज की है। जहां एनडीए गठबंधन को 425 वोटों की उम्मीद थी, वहीं राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन INDIA के प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी को सिर्फ 300 वोट ही मिले, जबकि उन्हें 355 वोटों की उम्मीद थी। इस परिणाम ने न सिर्फ विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि क्रॉस वोटिंग और 15 अमान्य वोटों ने भी विपक्ष को गंभीर झटका दिया है।
एनडीए को उम्मीद से ज्यादा वोट
NDA की ओर से जहां एक भी वोट अमान्य नहीं हुआ, वहीं विपक्ष के 15 वोट अमान्य पाए गए। इसके अलावा कई विपक्षी सांसदों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने की भी संभावना जताई जा रही है। यही कारण रहा कि सुदर्शन रेड्डी को 55 वोटों का सीधा नुकसान झेलना पड़ा। वोटिंग से पहले विपक्षी दलों ने एकजुट होकर अपने उम्मीदवार का समर्थन करने का दावा किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर एकजुटता नदारद दिखी।
क्रॉस वोटिंग ने खोली विपक्ष की पोल
चुनाव परिणामों से यह साफ हुआ कि कई विपक्षी सांसदों ने NDA उम्मीदवार को वोट दिया। हालांकि, किसी भी पार्टी ने आधिकारिक रूप से क्रॉस वोटिंग की पुष्टि नहीं की है, लेकिन आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि विपक्षी खेमे में आंतरिक असहमति और विधायकों की असंतुष्टि का असर देखने को मिला।
अमान्य वोट बने हार का कारण
विपक्ष के लिए सबसे चौंकाने वाली बात रही 15 अमान्य वोटों का सामने आना। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि ये वोट गलत ढंग से बैलेट पेपर भरने, सही तरीके से हस्ताक्षर न करने, या अनुचित चिह्न लगाने के कारण अमान्य कर दिए गए।
यह लापरवाही विपक्ष के लिए नुकसानदेह साबित हुई, क्योंकि इतने ही वोट सही होते तो अंतर कुछ हद तक कम हो सकता था।
NDA की रणनीति हुई कारगर
सीपी राधाकृष्णन को मिली 452 वोटों की भारी संख्या से यह स्पष्ट हो गया कि एनडीए ने न सिर्फ अपने खेमे को एकजुट रखा, बल्कि कुछ नाराज़ विपक्षी सांसदों को भी साधने में कामयाबी हासिल की। इसके अलावा YSR कांग्रेस और कुछ निर्दलीय सांसदों का समर्थन भी राधाकृष्णन को मिला।
राजनीतिक विश्लेषण और आगे की रणनीति
विपक्षी INDIA गठबंधन के लिए यह चुनाव राजनीतिक अस्थिरता और आपसी समन्वय की कमी को उजागर करता है। विपक्ष को अब आत्ममंथन की ज़रूरत है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में अमान्य वोट और क्रॉस वोटिंग क्यों हुई। वहीं एनडीए इस जीत को आगामी लोकसभा चुनाव 2026 के लिए एक सकारात्मक संकेत मान रहा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव का यह परिणाम सिर्फ एक संवैधानिक पद की नियुक्ति नहीं, बल्कि राजनीतिक माहौल का भी संकेतक बन गया है। विपक्ष को जहां एकजुटता की नई रणनीति बनानी होगी, वहीं एनडीए के लिए यह जीत एक मनोबल बढ़ाने वाली उपलब्धि साबित हुई है।
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