Ladakh Violence: लद्दाख में पिछले कुछ दिनों से जारी प्रदर्शन और हालिया हिंसा के बीच सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने बुधवार को अपना अनशन तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने इसे “लद्दाख के लिए दुख का दिन” बताते हुए युवा पीढ़ी से हिंसा रोकने की अपील की है।
वांगचुक पिछले पांच वर्षों से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत विशेष दर्जा दिलाने के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, “हमने कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं चुना। हमने अनशन किया, लेह से दिल्ली तक पदयात्रा की। हमने उम्मीद की थी कि सरकार हमारी बात सुनेगी, लेकिन आज जो हो रहा है, वह हमारे प्रयासों पर पानी फेर रहा है।”
हिंसा से बिगड़े हालात
बीते दो दिनों में लेह और कारगिल जिलों में गोलीबारी, आगजनी और पथराव की घटनाएं सामने आई हैं। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं। इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी है और कुछ इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। वांगचुक ने स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लद्दाख, जो शांति और सहयोग के लिए जाना जाता है, आज हिंसा की चपेट में आ गया है।”
“बेवकूफी बंद करें”, युवाओं से अपील
वांगचुक ने विशेष रूप से युवाओं से अपील की कि वे उकसावे में आकर हिंसा न करें। उन्होंने कहा, “मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से कहता हूं कि इस बेवकूफी को बंद करें। हमें अपनी लड़ाई संविधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से लड़नी है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा परिस्थितियों में आंदोलन को रोकना ही बेहतर होगा। “हम अपना अनशन यहीं समाप्त कर रहे हैं और प्रदर्शन भी रोक रहे हैं। इससे अधिक खून-खराबा नहीं होना चाहिए।”
सरकार से फिर की वार्ता की मांग
वांगचुक ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि लद्दाख की जनता की भावनाओं को समझा जाए और तुरंत संवाद की प्रक्रिया शुरू की जाए। “हमें अब भी उम्मीद है कि सरकार लोकतंत्र की भावना को समझेगी और हमें हमारा संवैधानिक अधिकार देगी।”
