Waqf Bill: BJP सांसद जगदंबिका पाल को JPC के अध्यक्ष पद की मिली जिम्मेदारी,कमेटी में कितने सदस्य मौजूद ?

Aanchal Singh
BJP सांसद जगदंबिका पाल

Waqf Bill: भाजपा के वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) को संसद की संयुक्त समिति (JPC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जो विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच करेगी. इस नियुक्ति की अधिसूचना लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा जारी की गई, जिसमें पाल को 31 सदस्यीय समिति का प्रमुख बनाया गया है. यह निर्णय तब लिया गया जब विपक्ष ने विधेयक के प्रावधानों पर विरोध व्यक्त किया, जिसके चलते सरकार ने इस मामले को संयुक्त समिति को सौंपने का फैसला किया.

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समिति के सदस्य और रिपोर्ट की समय सीमा

संयुक्त समिति में कुल 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें से 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा से चुने गए हैं. समिति को अगले सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. 73 वर्षीय जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) , जो उत्तर प्रदेश से चौथी बार सांसद हैं, को उनके सभी दलों के साथ मधुर संबंधों के लिए जाना जाता है. उनकी यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिसमें समिति के सदस्यों के नाम शामिल थे.

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समिति की संरचना और दलों का प्रतिनिधित्व

लोकसभा में समिति के 12 सदस्य सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से हैं, जिनमें आठ भाजपा से और नौ विपक्ष से हैं. वहीं, राज्यसभा में चार सदस्य भाजपा से, चार विपक्ष से, एक वाईएसआरसीपी से है, जिसने विधेयक का विरोध किया है, और एक नामित सदस्य है. समिति का यह कार्य महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर गहन जांच और विचार-विमर्श करेगी.

जगदंबिका पाल की भूमिका

जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) की इस महत्वपूर्ण समिति में नियुक्ति को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ उनके अच्छे संबंधों के चलते सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है. उनके नेतृत्व में, समिति से उम्मीद की जा रही है कि वह विधेयक के सभी पहलुओं पर निष्पक्ष और व्यापक जांच करेगी, ताकि देश के विभिन्न समुदायों के हितों की रक्षा हो सके. लोकसभा और राज्यसभा के इस संयुक्त प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर उठे विवादों और सवालों का समाधान हो सकेगा.आने वाले समय में, समिति की रिपोर्ट विधेयक के भविष्य और देश के अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर प्रभाव डाल सकती है.

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