New Delhi: वक्फ (संशोधन) बिल (Waqf Amendment Bill) पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में एक बार फिर विवादों का सिलसिला जारी है। विपक्षी सांसदों ने समिति की बैठक से वॉकआउट किया, जिसमें आप, डीएमके और कांग्रेस के सदस्य शामिल थे। नेताओं ने आरोप लगाया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने दिल्ली सरकार की जानकारी के बिना बोर्ड की रिपोर्ट में बदलाव किए, जिससे समिति के कामकाज पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या थी वॉकआउट की वजह
विपक्षी सांसदों ने बैठक में आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ और प्रशासक ने दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना रिपोर्ट में संशोधन कर दिया। वॉकआउट करने वाले नेताओं में आप के सांसद संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला और कांग्रेस के सांसद नसीर हुसैन और मोहम्मद जावेद शामिल थे। इन नेताओं ने स्पष्ट आरोप लगाया कि दिल्ली के वक्फ बोर्ड प्रशासक ने एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार के साथ मिलकर सीएम आतिशी की मंजूरी के बिना प्रस्तुति में परिवर्तन किया।
जेपीसी अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई तीखी बहस
जेपीसी की इस बैठक की अध्यक्षता भाजपा सांसद जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) कर रहे थे। बैठक में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड वक्फ बोर्डों के प्रतिनिधियों को वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पर अपनी बात रखने का मौका दिया गया था। हालांकि, माहौल में पहले से ही तनाव था, और विपक्षी दलों की असहमति ने हालात को और भी पेचीदा बना दिया।
पिछली बैठक में हुआ पिछले हंगामे का जिक्र

पिछली जेपीसी बैठक भी हंगामों और विवादों से भरी रही थी। तब टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी, जो हाथापाई तक पहुंच गई थी। गुस्से में टीएमसी सांसद बनर्जी ने कांच की पानी की बोतल उठाकर मेज पर दे मारी, जिससे बोतल टूट गई और बनर्जी खुद घायल हो गए थे। असदुद्दीन ओवैसी ने उस वक्त बनर्जी को बाहर ले जाने में सहयोग किया था।
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने जताई नाराजगी

बैठक में हुई इन घटनाओं पर जेपीसी के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पाल ने कहा, “मेरे 40 साल के संसदीय जीवन में मैंने कई संसदीय समितियों की अध्यक्षता की है, लेकिन आज जो हुआ, वह पूरी तरह अप्रत्याशित था। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इस तरह की घटना की कल्पना नहीं की जा सकती।” उन्होंने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि आज बोतल फेंकी जा सकती है, तो कल कोई सांसद रिवाल्वर लेकर बैठक में आ सकता है। इस तरह की घटनाओं से संसद की गरिमा और मर्यादा को ठेस पहुंचती है।”
क्या है वक्फ संशोधन बिल?
वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके इस्तेमाल में पारदर्शिता लाना है। समिति इस पर विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही है और वक्फ बोर्डों से प्रतिक्रिया ले रही है। हालांकि, जिस तरह के घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, उससे बिल पर चर्चा सुसंगठित ढंग से नहीं हो पा रही है।
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विपक्ष ने जताई नाराजगी
विपक्षी नेताओं का मानना है कि बैठक में बार-बार बदलाव और सरकारी हस्तक्षेप के चलते बिल पर विचार-विमर्श असंभव हो रहा है। जेपीसी में जारी विवाद और खींचतान से बिल को पारित करने की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस बिल को लेकर पूरी तरह से उनके सुझावों की अनदेखी कर रही है। बैठकों के दौरान बढ़ते तनाव और हाथापाई की घटनाओं से संसद की गरिमा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। संसदीय परंपराओं में ऐसे दृश्य बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की बैठकें राजनीति का नया अखाड़ा बन गई हैं, जहां हर बैठक नए विवादों के साथ सामने आ रही है।