Himachal Weather: हिमाचल प्रदेश में 20 जून को मानसून के आगमन के बाद से लेकर अब तक प्राकृतिक आपदा ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बाढ़, भूस्खलन, बिजली गिरने और अन्य हादसों के चलते अब तक 15 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में धर्मशाला, कांगड़ा, मंडी, शिमला, चंबा और ऊना जैसे जिले शामिल हैं।राज्य में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश के कारण 14 मकान और 7 दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और अब तक लगभग 29.16 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
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धर्मशाला में बाढ़ का कहर
धर्मशाला के खनियारा क्षेत्र की मनूनी खड्ड में अचानक आई बाढ़ से 6 मजदूरों की जान चली गई। हाल ही में एक और मजदूर का शव प्रोजेक्ट साइट के पास मिला, जिसकी पहचान नितिन कुमार (गांव पंखुड़ा, नंगल पंचायत, फतेहपुर) के रूप में हुई है। दुखद बात यह है कि उसी दिन नितिन के पिता संजय कुमार का अंतिम संस्कार भी हुआ।इसके अलावा कांगड़ा जिले में खड्डों में डूबने से दो लोगों की मौत, शाहपुर के ढडम्ब क्षेत्र में बिजली गिरने से एक की मौत, जबकि मंडी, शिमला और चंबा में गिरने से तीन लोगों की मौत हुई। बिलासपुर में सांप के काटने से भी एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है।
ऊना में डूबने से दो अन्य लोगों की मौत की भी पुष्टि हुई है।
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मौसम विभाग का अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हिमाचल प्रदेश के आठ जिलों में भारी बारिश का रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। अगले कुछ दिनों में बारिश के और तेज होने की संभावना है, जिससे भूस्खलन, नदियों का उफान और सड़क बंद होने जैसी घटनाएं हो सकती हैं।जिन जिलों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है, उनमें प्रमुख रूप से कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, चंबा, बिलासपुर, सोलन और ऊना शामिल हैं।
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प्रशासन सतर्क, बचाव कार्य जारी
राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है। NDRF और स्थानीय प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। जोखिम वाले क्षेत्रों में निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और सतर्कता के साथ स्कूलों को भी अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।
सतर्कता और सहयोग की आवश्यकता
हिमाचल प्रदेश इस समय प्राकृतिक आपदा की चुनौती से जूझ रहा है। लगातार हो रही बारिश और उससे उपजी त्रासदियों ने न केवल जानमाल का नुकसान किया है, बल्कि लोगों को मानसिक रूप से भी झकझोर दिया है।सरकार, प्रशासन और नागरिकों को मिलकर सतर्कता बरतनी होगी, ताकि आगे कोई बड़ा हादसा रोका जा सके। मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान देना और सुरक्षित स्थानों पर रहना ही फिलहाल सबसे बेहतर उपाय है।

