West Africa Coup: पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में रविवार को सेना ने अचानक सत्ता पर कब्जा कर लिया। सरकारी टेलीविजन पर सैनिकों के एक समूह ने प्रकट होकर देश की वर्तमान सरकार को भंग करने की घोषणा की। इस कदम को “मिलिट्री कमिटी फॉर रीफाउंडेशन” (पुनर्निर्माण के लिए सैन्य समिति) ने अंजाम दिया। सैनिकों ने यह भी बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल पास्कल टिग्री को इस सैन्य समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह घटनाक्रम पश्चिम अफ्रीका में हाल के वर्षों में दर्ज किए गए कई सैन्य तख्तापलटों की श्रृंखला में नवीनतम है।
West Africa Coup: सेना का उद्देश्य और घोषणाएं
सेनाओं ने कहा कि राष्ट्रपति और सभी राज्य संस्थाओं को पद से हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि देश में प्रशासनिक और राजनीतिक पुनर्निर्माण के लिए वे आवश्यक कदम उठाएंगे। समूह ने खुद को लोकतांत्रिक और स्थिर सरकार स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध बताया, हालांकि उनके वास्तविक इरादों के बारे में फिलहाल अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है।
West Africa Coup: इतिहास और पहले के तख्तापलट
1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही बेनिन में कई तख्तापलट हुए हैं। शुरुआती दशकों में राजनीतिक अस्थिरता आम रही। 1972 में मार्क्सवादी-लेनिनवादी नेता माथ्यू केरेकू सत्ता में आए और लगभग दो दशकों तक शासन किया। उनके शासनकाल के दौरान देश का नाम बदलकर “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बेनिन” कर दिया गया था। 1991 में बहुदलीय लोकतंत्र की स्थापना के बाद देश ने राजनीतिक स्थिरता का अनुभव किया।
NEW: Soldiers tried and failed to overthrow President Patrice Talon in Benin.
Coup plotters briefly seized state TV in Cotonou and announced a junta, but loyalist forces reportedly retook control within hours.
Talon was evacuated safely. pic.twitter.com/AVCAdphsyH
— Clash Report (@clashreport) December 7, 2025
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
राष्ट्रपति पेट्रिस तालों 2016 से सत्ता में थे। उनका कार्यकाल अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद समाप्त होने वाला था। उनकी पार्टी का उम्मीदवार, पूर्व वित्त मंत्री रोमुआल्ड वाडाग्नी, चुनाव जीतने के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। विपक्षी उम्मीदवार रेनॉड एगबोड्जो को चुनाव आयोग ने पर्याप्त समर्थकों की कमी के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था।हाल ही में बेनिन की संसद ने राष्ट्रपति के कार्यकाल को 5 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया, हालांकि दो कार्यकाल की सीमा बरकरार रखी गई थी। यह सुधार राजनीतिक दलों और नागरिक समाज में विवाद का कारण बना था। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया और सत्ता हस्तांतरण के समय पर प्रभाव डाल सकता था।
पश्चिम अफ्रीका में सैन्य तख्तापलट की प्रवृत्ति
बेनीन में यह तख्तापलट पश्चिम अफ्रीका में हालिया सैन्य हस्तक्षेप की श्रृंखला का नवीनतम उदाहरण है। पिछले सप्ताह ही गिनी-बिसाऊ में चुनावी विवाद के बाद सेना ने सत्ता पर कब्जा किया और पूर्व राष्ट्रपति उमारो एम्बालो को हटा दिया। उस चुनाव में एम्बालो और उनके विपक्षी दोनों ने खुद को विजेता घोषित किया था। इस प्रकार, क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य हस्तक्षेप की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है।बेनिन में हुए इस तख्तापलट ने क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब नए नेतृत्व की नीति और कदमों पर हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सैन्य समिति देश में शासन को स्थिर और लोकतांत्रिक तरीके से पुनर्निर्मित करने में कितनी सफल रहती है।
