CJI Chandrachud Retirement: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का आज, 10 नवंबर 2024, न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्ति का दिन है। अपने लंबे और प्रतिष्ठित कार्यकाल के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जिस गरिमा और निष्पक्षता के साथ अपनी भूमिका निभाई, वह असाधारण रही। अब देशवासियों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि उनकी इस यात्रा के बाद उनके आगे का जीवन कैसा होगा। क्या वह किसी राजनीतिक भूमिका में आएंगे? क्या वह राज्यसभा का हिस्सा बनेंगे? या फिर कोई और जिम्मेदारी संभालेंगे? इन सभी सवालों का जवाब खुद सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिया है।
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‘जज की छवि, जो हर जगह हमारे साथ रहती है’
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (dy chandrachud) ने एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कहा कि एक जज के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाज की नज़रों में वे हमेशा एक न्यायाधीश रहेंगे। उन्होंने कहा, “जजों से समाज में एक निश्चित मानक की अपेक्षा की जाती है। एक बार न्यायिक पद छोड़ने के बाद भी लोग उसी सम्मान और मर्यादा की उम्मीद करते हैं।” चंद्रचूड़ ने माना कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे उस गरिमा का पालन करें जो उनके पद से जुड़ी रही है। उन्होंने कहा कि उनके पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, जो स्वयं भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं, सेवानिवृत्ति के बाद भी उसी सम्मान के पात्र बने रहे। उसी गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर है, और वह इसके प्रति पूरी तरह से जागरूक हैं।
रिटायरमेंट प्लान को लेकर सीजेआई ने स्पष्ट किया अपना रुख
जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके रिटायरमेंट के बाद राजनीति में आने का इरादा है या राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करेंगे, तो चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। उनका कहना है कि वे सोच-समझ कर ही कोई कदम उठाएंगे और हर वह कार्य करेंगे जो समाज में उनके पद की गरिमा को बनाए रखे। चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया, “मेरे विचार में जब कोई न्यायाधीश पद छोड़ता है, तो उसे जनता की उम्मीदों के प्रति सच्चा रहना चाहिए। मैं इस बात का ख्याल रखूंगा कि मैं हर वह कदम उठाऊं जो मेरे लिए समाज की उम्मीदों पर खरा उतरे।”
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रिटायर्ड जजों की भी होती है अहम भूमिका
सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद जजों की महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती हैं। वे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC), और दूरसंचार विवाद न्यायाधिकरण (TDT) जैसे संस्थानों में सेवा देते हैं। उनका मानना है कि ऐसे ट्रिब्यूनल जटिल कानूनी और आर्थिक मामलों का त्वरित समाधान देने में मददगार होते हैं और इनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए उच्चतम स्तर की ईमानदारी और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, “पूर्व जजों के पास इन महत्वपूर्ण मुद्दों का निपटारा करने के लिए पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता होती है। हमें इस तरह की भूमिकाओं को अपनाने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यह देश के विकास में सकारात्मक भूमिका निभाता है।”
मीडिया से की अपील: रिटायर्ड जजों की भूमिका को समझें
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मीडिया से भी अनुरोध किया कि वे रिटायर्ड जजों द्वारा इन भूमिकाओं को अपनाने को सही दृष्टिकोण से देखें। उन्होंने कहा कि जजों को इन भूमिकाओं में मान्यता देने से विवादों के निपटारे और न्यायिक प्रणाली की कुशलता में मदद मिलती है। “मुझे लगता है कि मीडिया को यह समझना चाहिए कि जजों का इन जिम्मेदारियों को संभालना समाज और देश के लिए एक अहम योगदान है,” उन्होंने कहा।
‘पिता की छवि को बनाए रखूँगा’ – जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ ने भी अपने कार्यकाल में उच्च न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखा था, जो आज भी लोगों की स्मृतियों में जीवित है। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें उसी आदर के साथ देखा जाता है। चंद्रचूड़ ने बताया कि उनके पिता उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहे हैं और वे भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पिता एक महान जज थे और उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद भी उसी गरिमा का पालन किया। मैं भी उनके इस उदाहरण को ध्यान में रखते हुए ही अपने भविष्य की दिशा तय करूंगा।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि वह अभी अपने भविष्य को लेकर किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं। उन्होंने यह कहा कि वह समाज की अपेक्षाओं और पद की गरिमा के अनुरूप ही अपने आगे के कदम उठाएंगे। चंद्रचूड़ का कहना है, “मैं इस बात का हमेशा ध्यान रखूंगा कि समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरूं। मेरे लिए यह दो मूल्य – गरिमा और सत्यनिष्ठा – सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, और मैं इन्हीं के आधार पर अपना जीवन व्यतीत करूंगा।”
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समाज की अपेक्षाओं के प्रति समर्पण
सीजेआई चंद्रचूड़ का यह कहना कि समाज को उनसे एक विशेष मानक की उम्मीद होती है, उनकी न्यायिक जीवन और सेवानिवृत्ति के बाद की भूमिका को लेकर उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराता है। उनके इन शब्दों से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाने का वचन देते हैं। उनके भविष्य के फैसले समाज की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ही होंगे। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के शब्द और उनका समर्पण उनके पद और न्याय प्रणाली की गरिमा को और भी ऊंचा उठाते हैं। उनके इन विचारों से न्यायिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी साफ झलकती है।
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