TB Symptoms: टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस एक संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसे हिंदी में क्षय रोग भी कहा जाता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होती है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलती है। जब कोई व्यक्ति इस दूषित हवा में सांस लेता है, तो यह जीवाणु उसके फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रहने वाले लोगों को टीबी का खतरा अधिक होता है।
टीबी के शुरुआती लक्षण

टीबी की पहचान इसके शुरुआती लक्षणों से की जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी बनी रहती है, तो यह टीबी का संकेत हो सकता है। अन्य लक्षणों में
छाती में दर्द
खांसी के साथ खून या बलगम आना
शरीर में कमजोरी
भूख में कमी
वजन घटना
लगातार सर्दी लगना
बुखार रहना
रात में पसीना आना
इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वहीं, इनएक्टिव टीबी वाले लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है।
टीबी की विभिन्न अवस्थाएं
पहली स्टेज
टीबी की शुरुआत फेफड़ों में जीवाणु के प्रवेश से होती है। इस स्टेज में हल्का बुखार, थकान और खांसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण धीरे-धीरे शरीर में फैलता है।
दूसरी स्टेज
इस अवस्था में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता टीबी के जीवाणुओं को रोकने के लिए सुरक्षा कवच बनाती है। हालांकि, कुछ जीवाणु फेफड़ों में छिपे रह जाते हैं। इस स्टेज में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन व्यक्ति टीबी का वाहक बन सकता है।
तीसरी स्टेज
यह अवस्था सबसे गंभीर होती है, जिसमें टीबी के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं। इसमें खून वाली खांसी, छाती में दर्द, बुखार, ठंड लगना, वजन घटना और रात में पसीना आना शामिल हैं। व्यक्ति को लगातार बीमार महसूस होता है।
फेफड़ों के बाहर टीबी
जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों से बाहर शरीर के अन्य अंगों तक फैलता है, तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी कहा जाता है। यह किडनी, दिल, दिमाग, रीढ़ की हड्डी और जननांगों को भी प्रभावित कर सकता है। लक्षण प्रभावित अंग के अनुसार बदलते हैं।
टीबी के कारण और जोखिम
टीबी का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु है। यह हवा के माध्यम से फैलता है।
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग
भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रहने वाले
धूम्रपान या अत्यधिक शराब सेवन करने वाले
अस्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले
टीबी का उपचार
टीबी की पुष्टि के बाद डॉक्टर 4 से 6 महीने का इलाज शुरू करते हैं। इसमें विशेष दवाएं दी जाती हैं जो जीवाणुओं को नष्ट करने का कार्य करती हैं। साथ ही, पोषणयुक्त आहार और नियमित दवा सेवन से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
टीबी से बचाव के लिए जागरूकता, समय पर जांच और सही इलाज बेहद जरूरी है। यदि लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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