Nagasaki Day 2023: हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में अमेरिका के बम वर्षक विमान ने 6 अगस्त को जापान के हिरोशिमा शहर पर ‘लिटिल बॉय’ नाम के परमाणु बम से हमला किया था। इस हमले के 3 दिन बाद 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर ‘फैट मैन-परमाणु बम’ गिराया था। बम के डिजाइन के कारण इसका कोड-नाम “फैट मैन” रखा गया था क्योंकि इसका आकार चौड़ा, गोल था। एक आंकड़े के मुताबिक, इसमें करीब-करीब एक लाख चालीस हज़ार लोग मारे गए थे। इसी की याद में दुनियाभर में हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है।
बता दें कि इससे पहले अमेरिका द्वारा ही 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर ‘लिटिल बॉय’ नाम का यूरेनियम बम गिराया गया था। जिसमें लगभग 20,000 सैनिक और 70,000 आम नागरिकों की मौत हुई थी। जापान के नागासाकी में अमेरिकी परमाणु बमबारी की यह 77वीं वर्षगांठ है।
क्यों मनाया जाता हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस

नागासाकी शांति दिवस पीड़ितों को याद करने, शांति को बढ़ावा देने और अधिक युद्धों से बचने और परमाणु हथियारों की विनाशकारी क्षमता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। बता दें कि अमेरिका के इस भयानक परमाणु हमले से जापान के हिरोशिमा और नागासाकी के हजारों लोगों की तत्काल मौत हो गई थी। वहीं, लाखो लोग इस त्रासदी में आजीवन विकलांगता और कई बीमारियों से पीड़ित हो गए। यह दुनिया में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का पहला और एकमात्र उदाहरण है। इसलिए, शांति की राजनीति को बढ़ावा देने और नागासाकी पर बम हमले के प्रभावों के बारे में दुनिया में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है।
इस हमले में जापान ने किया आत्मसमर्पण
साल 1945 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के दो बड़े शहरों में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया था। इस हमले से दोनों ही शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए। इस हमले की त्रासदी के कुछ ही देर में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। और जो दुर्भाग्य से इस त्रासदी में बच भी गए थे वो लोग विकलांग और अपंग हो गए थे। इसके बाद परमाणु विकरण के कारण बीमारियों से लोगों की मौत होती रही। इसका असर दशकों तक रहा। देश में बढ़ते मौतो से परेशान होकर जापान ने 15 अगस्त 1945 को अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था। 2 सितंबर 1945 को आत्मसमर्पण के औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
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जापान पर परमाणु हमले का इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 8 मई 1945 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ ही यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया था। लेकिन प्रशांत क्षैत्र में मित्र राष्ट्रों और जापान के बीच युद्ध जारी रहा।
जुलाई 1945 में पॉट्सडैम घोषणा (Potsdam Declaration) में, मित्र राष्ट्रों ने जापान से बिना शर्त आत्मसमर्पण के लिए कहा, लेकिन जापान ने इसे नजरअंदाज कर दिया था और युद्ध जारी रखा।
इस घटना से जापान और अमेरिका के बीच संबंध काफी खराब हो गए, खासकर जब जापानी सेना ने ईस्ट इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडोचीन रिजन को निशाना बनाने का फैसला किया। इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को आत्मसमर्पण करने के लिए परमाणु बमों के उपयोग का फैसला किया।
इसके लिए 1940 के दशक में अमेरिका द्वारा मैनहट्टन परियोजना के परिणामस्वरूप विकसित दो प्रकार के परमाणु बमों का उपयोग किया गया। अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर में ‘लिटिल बॉय‘ नाम का परमाणु बम गिराया। इसके बात 9 अगस्त 1945 को नागासाकी शहर में ‘द फैट मैन‘ नाम का एक प्लूटोनियम बम गिराया।
नागासाकी पर बमबारी के कारण: पर्ल हार्बर
दूसरा विश्व यूद्ध आखिरी मोड़ पर था जापान लगभग हार ही चुका था लेकिन जापान अमेरिक के सामने सरेंडर नहीं किया था। इस बीच अमेरिका, बार-बार जापान को एटम बम दागने के लिए चेतावनी दे रहा था। लेकिन इसके बावजूद जापान ने अमेरिका के सामने सरेंडर करने से इनकार कर दिया। इस घटना के बाद अमेरिका के सहयोगियों ने जापान पर एक्शन लेने की सलाह दी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने परमाणु हमले को यह कहते हुए उचित ठहराया कि बम गिराने से युद्ध जल्दी और प्रभावी रूप से समाप्त हो गया और इससे अमेरिका को कम से कम नुकसान हुआ।
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए हमले का बदला लेने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी हम परमाणु हमला किया। हमले के लिए हिरोशिमा और नागासाकी जैसे शहरो का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि इन शहरों में जापान की महत्वपूर्ण औद्योगिक और सैन्य सुविधाएं थीं। कुछ लोगों का मानना है कि युद्ध के बाद सोवियत संघ के साथ राजनयिक सौदेबाजी के लिए एक मजबूत स्थिति हासिल करने के लिए अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया था।