Choti Diwali 2025: हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। इन पांच दिनों में नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का विशेष महत्व होता है। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे नरक चौदस, भूत चतुर्दशी, रूप चौदस और रूस चौदस। यह दिन आध्यात्मिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
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कब है नरक चतुर्दशी?

इस साल नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है।
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1:51 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:44 बजे
बता दें कि इस दिन पूजा रात्रि में की जाती है, इसलिए छोटी दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी, और मुख्य लक्ष्मी पूजा अगले दिन, 20 अक्टूबर को होगी।
छोटी दिवाली पर क्या करें?
छोटी दिवाली पर कुछ विशेष धार्मिक कार्य करने से पितृ तृप्त होते हैं और घर में समृद्धि आती है।
इन कार्यों को करना फलदायी
दीपदान: शाम को घर के मुख्य द्वार, आंगन और घर के कोनों में दीपक जलाएं। विशेष रूप से दक्षिण दिशा की ओर दीपक लगाना यम को प्रसन्न करता है।
पितृ तर्पण और भोग: तिल, तेल, गुड़, मिठाई आदि का भोग लगाकर यम और पितरों को तर्पण दें।
दान-पुण्य: गरीबों को दीपक, तेल, तिल, मिठाई, वस्त्र या भोजन का दान करें।
झाड़ू की पूजा: इस दिन झाड़ू की भी पूजा की जाती है, जिसे लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
रात्रि दीप जलाना: रात में सोने से पहले घर के हर कोने में दीपक जलाएं ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाए।
नरक चतुर्दशी का पौराणिक महत्व
छोटी दिवाली से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं।
एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था।
उत्तर भारत में, इसी दिन को हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था।
भारत में नरक चतुर्दशी के विविध रूप

भारत के विभिन्न राज्यों में इस दिन को अलग-अलग परंपराओं से मनाया जाता है।
उत्तर भारत: इसे रूप चौदस या हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल: यहां इसे भूत चतुर्दशी कहा जाता है। लोग मानते हैं कि पूर्वजों की आत्माएं इस दिन पृथ्वी पर आती हैं।
तमिलनाडु: लोग “नोम्बू” व्रत रखते हैं और लक्ष्मी माता की विशेष पूजा करते हैं।
ग्रामीण भारत: कई स्थानों पर इसे फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
