Gopashtami 2025: कब है गोपाष्टमी? जानें दिन, तारीख और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और विशेष अवसरों पर उसकी पूजा की जाती है। दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष गोपाष्टमी 29 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी, जिसमें गाय और उसके बछड़े की विधिवत पूजा की जाती है।

Nivedita Kasaudhan
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Gopashtami 2025: गोपाष्टमी हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन गौ माता की पूजा और उनके महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन जैसे तीर्थस्थलों पर इस पर्व की भव्यता देखते ही बनती है। आइए विस्तार से जानते हैं गोपाष्टमी की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।

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गोपाष्टमी की तिथि और समय

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पंचांग के अनुसार, गोपाष्टमी का पर्व 29 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सुबह 09:23 बजे से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 10:06 बजे तक रहेगी। चूंकि 29 अक्टूबर को अष्टमी तिथि पूरे दिन रहेगी, इसलिए इसी दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जो इस पर्व को और अधिक फलदायक बना देंगे। धार्मिक दृष्टि से यह दिन गायों की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

गोपाष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त

गोपाष्टमी के दिन गाय और उनके बछड़ों की पूजा करने के लिए निम्नलिखित समय को शुभ माना गया है—

सुबह 07:58 से 09:22 तक

सुबह 10:46 से दोपहर 12:10 तक

दोपहर 02:58 से शाम 04:22 तक

शाम 04:22 से 05:46 तक

इन मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

गोपाष्टमी की पूजा विधि

गोपाष्टमी की पूजा विधि सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली है। इस दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद दूध देने वाली गाय और उसके बछड़े की पूजा की जाती है।

पूजा के प्रमुख चरण

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गाय और बछड़े को चंदन से तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।

एक पात्र में जल, चावल, सफेद तिल और फूल मिलाकर गाय के चरणों पर अर्पित करें।

इस दौरान निम्न मंत्र का उच्चारण करें: “क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते। सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः॥”

पूजा के बाद गाय को विभिन्न प्रकार के पकवान और हरी घास आदि खिलाएं।

गौ माता के चरण स्पर्श कर घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

अंत में गौ माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

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