Labh Panchami 2025: कब मनाई जाएगी लाभ पंचमी? जानें दिन तारीख और मुहूर्त

Nivedita Kasaudhan
Labh Panchami
Labh Panchami

Labh Panchami 2025: लाभ पंचमी का पर्व विशेष रूप से व्यापार और आर्थिक समृद्धि से जुड़ा हुआ है। यह पर्व दीपावली के पांचवें दिन मनाया जाता है और हिंदू धर्म में इसे बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन व्यापारी वर्ग विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने बहीखातों का पूजन करते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि लाभ पंचमी पर की गई पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और व्यवसाय में उन्नति के साथ-साथ सौभाग्य में वृद्धि होती है।

Read more: Choti Diwali 2025: अक्टूबर में कब है छोटी दिवाली? जानें तारीख और जरूरी ​बातें

लाभ पंचमी की तिथि

Labh Panchami
Labh Panchami

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ पंचमी मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 26 अक्टूबर, रविवार को पड़ रही है। पंचमी तिथि का आरंभ 26 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त 3:48 AM पर होगा और यह समाप्त 27 अक्टूबर को सुबह 6:04 AM पर होगी।
उदया तिथि के अनुसार, लाभ पंचमी 26 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त

सुबह 6:29 बजे से लेकर 10:13 बजे तक पूजा करना विशेष रूप से शुभ रहेगा। इस समय मां लक्ष्मी और गणेश जी की विधिवत पूजा कर सकते हैं।

लाभ पंचमी का महत्व

लाभ पंचमी का पर्व खासकर व्यापार से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को नई दुकान, व्यापार, फैक्ट्री या किसी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए शुभ दिन माना गया है।

नए बहीखातों की पूजा

इस दिन पुराने खाता-बही को बंद कर नए खाता-बही की शुरुआत की जाती है। नए बहीखातों पर “शुभ-लाभ” और “स्वस्तिक” का चिन्ह बनाकर उनका विधिपूर्वक उद्घाटन किया जाता है।

व्रत और उपासना

कई लोग इस दिन व्रत रखकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा और व्रत से अगले वर्ष व्यापार में लाभ और सफलता सुनिश्चित होती है। यह दिन परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत फलदायी होता है।

लाभ पंचमी की पूजा विधि

Labh Panchami
Labh Panchami

लाभ पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर शुद्ध होकर पूजा की तैयारी करें। सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ कर वहां भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और भगवान शिव की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें। गणेश जी को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा अर्पित करें। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र चढ़ाएं। लक्ष्मी माता की पूजा में उन्हें हलवा, पूड़ी और मिठाइयों का भोग लगाएं। पूजा के अंत में आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

Read more: Sharad Purnima 2025: 5 या 6 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा? जानें तारीख और जरूरी नियम

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version