Karwa Chauth 2025: करवा चौथ 2025 का पर्व हर साल की तरह इस बार भी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और दांपत्य सुख की कामना के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक चलता है और चंद्रमा के दर्शन के साथ समाप्त होता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अप्रैल 2025 दिन गुरुवार यानी आज रखा जा रहा है।
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करवा चौथ व्रत का महत्व

करवा चौथ व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और शाम के समय एकत्र होकर पूजा करती हैं। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनी जाती है, जो इस व्रत की पौराणिक महत्ता को दर्शाती है।
चंद्रमा के उदय होने के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं। यह प्रक्रिया पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है।
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
इस बार करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का मानक समय दिल्ली में रात 08:13 बजे रहेगा। देश के अलग-अलग शहरों में चांद निकलने का समय भौगोलिक स्थिति के अनुसार थोड़ा अलग होगा। नीचे कुछ प्रमुख शहरों के चंद्रोदय समय दिए गए हैं —
शहर चंद्रोदय का समय
दिल्ली 08:13 PM
नोएडा 08:13 PM
मुंबई 08:55 PM
कोलकाता 07:41 PM
चंडीगढ़ 08:08 PM
पंजाब 08:10 PM
जम्मू 08:11 PM
लुधियाना 08:11 PM
देहरादून 08:04 PM
शिमला 08:06 PM
पटना 07:48 PM
लखनऊ 08:02 PM
कानपुर 08:06 PM
प्रयागराज 08:02 PM
भोपाल 08:26 PM
इंदौर 08:33 PM
अहमदाबाद 08:47 PM
जयपुर 08:22 PM
रायपुर 07:43 PM
चेन्नई 08:37 PM
बेंगलुरु 08:48 PM
पूजा की सरल विधि

करवा चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है, जब महिलाएं मिलकर मां गौरी और चंद्र देव की आराधना करती हैं। पूजा के समय करवा में जल, अक्षत, रोली, दीया और मिठाई रखी जाती है। करवा चौथ की कथा सुनना इस व्रत का आवश्यक भाग है, क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
पूजा के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अपने पति के हाथों से जल पीती हैं और व्रत का समापन करती हैं। यह व्रत वैवाहिक जीवन की स्थिरता, प्रेम और सौभाग्य की कामना के साथ जुड़ा हुआ है। करवा चौथ 2025 का पर्व हर महिला के लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अवसर है। यह न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि पारिवारिक एकता और प्रेम का भी संदेश देता है। इस दिन का सबसे विशेष क्षण होता है चांद का दीदार, जो व्रत की पूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
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