Lt Gen. Hanut Singh: पाकिस्तान के विरुद्ध भारतीय सेना के पराक्रम की आज पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है भारतीय सेना के साहस व वीरता के किस्सों के बीच लोगों को आज जनरल हनुत सिंह राठौड़ याद आ रहे हैं।तलवार से बिजली कड़के,लाल लहू बहे धरती,केवल देना प्रभु मोहे, विजय हो या वीरगति।जी हाँ इन पंक्तियों को आपने जरूर सुना होगा।इसको सुनने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह का नाम जहन में आता हैं। जिनके साहस व वीरता के किस्से को भारत मे याद किया जाता है जिनको आज दुशमन देश पाकिस्तान भी याद कर रहा है।
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युद्ध क्षेत्र में भी घंटों-घंटों साधना में बैठे रहते थे हनुत सिंह

कुछ नाम ऐसे होते हैं,जो अमर होने के साथ ही हमेशा के लिए दिलों दिमाग में अंकित हो जाते हैं। एक ऐसा ही नाम है हनुत सिंह राठौड़।लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह राजस्थान के सरहदी जिले बालोतरा के जसोल कस्बे के रहने वाले थे।उनका जन्म हरियाली अमावस्या 22 जुलाई 1933 को हुआ था।हनुत सिंह भारतीय सेना के सबसे कुशल रणनीतिकार कहे जाते थे। जनरल हणुत सिंह असाधारण प्रतिभा के धनी थे। ईश्वर भक्ति इतनी थी कि,कहते हैं हणुत सिंह युद्ध क्षेत्र में भी कई घंटों तक साधना में बैठे रहते थे।इन्हें सेना और सामाजिक जीवन में ‘संत जनरल’ के नाम से जाना जाता था।
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पाकिस्तान की सेना ने दिया था ‘फक्र-ए-हिंद’ का खिताब
मालाणी की मिट्टी में जन्मे वीर हनुत सिंह भारतीय सेना के 12 सबसे चर्चित अफ़सरों में से एक थे। हणुतसिंह आजीवन ब्रह्मचारी थे।ये जीवन भर अविवाहित रहे। देश भक्ति का जज्बा क्या होता है इसकी मिशाल लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह ने कायम की थी।वर्ष 1971 को भारत के गौरवशाली वर्ष के रूप में जाना जाता है।जिसमें पाकिस्तान की सेना को धूल चटाई गई थी।

आजादी के बाद देश की आन के लिए खड़े हनुत सिंह राठौड़ ने पाकिस्तान को जो सबक सिखाया था।जिसके चलते आज भी उन्हें याद किया जाता हैं। हनुत सिंह की अद्वितीय रणनीति ने पाकिस्तान के 48 से अधिक टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया था।इस युद्ध के कारण ही भारतीय सेना लाहौर को घेरने में सफल हुई थी।जिसके चलते 1971 की लड़ाई में भारत पाकिस्तान के शकरगढ़ क्षेत्र में विजयी हुआ था। हनुत सिंह राठौड़ उस गौरवशाली टैंक रेजिमेंट 17 पूना हॉर्स के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) थे। जिसका सन 1971 की लड़ाई में अदम्य साहस देख पाकिस्तान की सेना ने ‘फक्र-ए-हिन्द’ का खिताब दिया था।
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1971 के युद्ध में दुश्मन देश के 48 टैंकों को किया नेस्तनाबूद
आमतौर पर सेना के किसी जवान का सम्मान सीने पर मेडल,बंदूक या फिर इनाम में प्रमाण पत्र देखकर ही सुना होगा लेकिन बालोतरा जिले के जसोल गांव में लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह एक ऐसे फौजी अफसर रहे जिनके घर के आगे पूना रेजिमेंट ने उनके अदम्य सम्मान को लेकर टैंक रखा है।1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 48 टैंकों को नेस्तनाबूद करने का हौंसला इस अफसर ने किया था।जसोल सरपंच ईश्वर सिंह चौहान ने बताया कि,जनरल हनुत सिंह हमारे लिए गौरव हैं।इतना बड़ा योद्धा हमारे गांव ने दिया है।किसी फौजी अफसर के घर के आगे टैंक रखने का यह अद्वितीय उदाहरण है।जिनके घर के आगे टैंक का होना ही इसका सबूत है कि,वे कितनी बड़ी शख्सियत रहे हैं। आज हमें गर्व है की हनुत सिंह जी ने इस धरा पर जन्म लेकर देश का मान बढ़ाया।
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जसोल के लोग हनुत सिंह की बहादुरी पर आज भी करते हैं गर्व
जसोल के लोग पहलगाम हमले के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच उपजे विवाद व तनाव की इस स्थिति में जोश के साथ कहते हैं कि,हम हनुत के गांव से है।जिन्होंने पाकिस्तान को घर मे घुस कर मारा था।ग्रामीणों ने कहा कि,किसी भी स्थिति में देश व सेना का जोश कम नही होने देंगे। हम भारतीय सेना के साथ जोश से खड़े हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भारतीय सेना का हौसला अफजाई कर रहे है उनके बीच मे पहुंच नमन कर रहे हैं।जो हमारे लिए गौरव की बात है ग्रामीणों का कहना है,हम आज भी जोश से भरे हुए हैं।1971 में पाकिस्तान को कड़ी मार देने वाले हमारे गांव के ही जनरल हनुत सिंह थे,जिनका नाम हम फक्र से लेते हैं। पाकिस्तान भी उन्हें फक्र ए हिन्द कहता था।हमारी फौज में ऐसे कई वीर हैं जो दुश्मनों के छक्के छुड़ा रहे हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह राठौड़ 39 वर्ष तक भारतीय सेना की गौरवपूर्ण सेवा के बाद जुलाई 1991 में सेवानिवृत्त हुए थे।आज उन्हें बड़े फक्र के साथ हर कोई याद कर रहा है। मालाणी के गौरव होने के साथ,परम विशिष्ट सेवा मेडल,महावीर चक्र विजेता ब्रह्मलीन संत सैनिक लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह के पैतृक निवास स्थान पर अब आध्यात्म का बड़ा केंद्र बनने जा रहा है।जहां उनके जीवन परिचय के साथ सैनिक से संत बनने तक का सफर के माध्यम से लोगों को उनकी जीवन गाथा से रूबरू कराया जाएगा।