लव अफेयर्स में लड़के ही क्यों गिरफ्तार?उत्तराखंड HC का बड़ा सवाल

Mona Jha

Uttarakhand High Court News: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लव अफेयर्स को लेकर सवाल उठाया है। नाबालिगों के लव अफेयर्स के मामलों में केवल लड़कों को गिरफ्तार किया जाता है। वहीं, लड़कियों को छोड़ दिया जाता है। ये सवाल हा कोर्ट ने किया है।दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के साथ प्रेम और अन्य गतिविधियों में शामिल किशोर लड़कों की गिरफ्तारी के खिलाफ जनहित याचिका सुनवाई की है।

वहीं इस याचिका पर विचार-विमर्श करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि ऐसी गतिविधियों में शामिल लड़कों को ही क्यों पकड़ा जाता है, जबकि लड़कियों को छोड़ दिया जाता है।

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सलाह देकर भी छोड़ सकती है पुलिस- कोर्ट

बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस ऋतु बहारी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच ने उत्तराखंड सरकार से यह जांच करने को कहा कि क्या सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करना लड़के को गिरफ्तार नहीं करने के लिए पर्याप्त होगा?इसके अलाव कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या लड़के को गिरफ्तार करना जरूरी है? कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि ‘ऐसे मामले में उस लड़के को थाने बुलाकर यह सलाह देकर भी छोड़ा जा सकता है कि वह आगे इन चीजों में शामिल न हो, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए..’

वहीं कोर्ट ने यह टिप्पणी एक वकील मनीषा भंडारी की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान की है। जहां हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार ऐसे मामलों की जांच कर सकता है और पुलिस विभाग को सामान्य निर्देश जारी कर सकता है।

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” लव अफेयर्स में क्यों सिर्फ लड़के अरेस्ट होते हैं”

वकील मनीषा भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने की। याचिका में कहा गया है कि नाबालिग लड़कों और लड़कियों के बीच प्रेम संबंधों से जुड़े मामलों में हमेशा लड़के को ही दोषी माना जाता है। जनहित याचिका में कहा गया है कि यहां तक कि जब लड़की बड़ी हो जाती है, तब भी लड़के को हिरासत में ले लिया जाता है और उसे अपराधी माना जाता है। प्रेम प्रसंग के मामलों में लड़का ही अंत में खुद को जेल में पाता है, जबकि उसे पकड़ने के बजाय परामर्श दिया जाना चाहिए।

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20 ऐसे लड़के जेल में मिले जो लव अफेयर्स में पकडे़ गए

दरअसल वकील मनीषा भंडारी ने अपनी पीआईएल में लैंगिक असमानता पर बात की थी। जिसमें कहा गया कि जहां लड़कियों को अक्सर सहमति से बने संबंधों में भी पीड़ित के रूप में देखा जाता है, तो दूसरी तरफ कम उम्र लड़कों को ऐसी चीज़ों के लिए अपराधी बताकर जेल में डाल दिया जाता है। वकील मनीषा भंडारी ने चीफ जस्टिस के सामने दावा किया कि हाल में उन्हें हलद्वानी जेल में 20 ऐसे लड़के मिले थे।

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