NATO Statement India: अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% शुल्कक लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया ऐसा दावा किया है नाटो के महासचिव मार्क रूटे ने। उनके इस बयान से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है। रूटे के अनुसार, मोदी ने पुतिन से यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की रणनीति की जानकारी लेनी चाही और यह कदम अमेरिका की शुल्कक नीति से उत्पन्न दबाव के कारण उठाया गया।
क्या है नाटो प्रमुख का दावा?
संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक अमेरिकी मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में नाटो महासचिव ने कहा, “अमेरिका ने भारत पर 50% तक का शुल्कं इसलिए लगाया है क्योंकि भारत रूस से तेल खरीदता है। इसका असर न केवल भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, बल्कि यह दबाव रूस पर भी间बसी है। मोदी ने पुतिन से बात कर यह समझने की कोशिश की है कि यूक्रेन को लेकर रूस की आगामी योजना क्या है।” हालांकि इस कथित बातचीत को लेकर अभी तक न तो भारत सरकार (MEA) और न ही क्रेमलिन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि हुई है।
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर असर?
हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। अमेरिका का आरोप है कि रूस से तेल खरीदकर भारत परोक्ष रूप से यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन कर रहा है। इसी आधार पर अमेरिका ने पहले 25% और बाद में अतिरिक्त 25% का शुल्क लगाकर कुल 50% शुल्क भारत के उत्पादों पर लगा दिया।अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक कह चुके हैं कि भारत की रूसी तेल खरीद रूस को आर्थिक संबल प्रदान कर रही है।
बातचीत या कूटनीतिक रणनीति?
हालांकि, हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत भी हुई है और डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं। इन सकारात्मक संकेतों के बीच अगर भारत के पास रूस की आक्रामक रणनीति की कोई जानकारी है, तो वह व्यापार वार्ता में यह तर्क दे सकता है कि वह वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्ध है, और इस आधार पर अमेरिका से शुल्क में राहत की मांग कर सकता है।
नहीं है स्पष्टता, लेकिन संकेत गहरे
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि पीएम मोदी ने वास्तव में पुतिन से यूक्रेन मुद्दे पर कोई गोपनीय जानकारी मांगी या नहीं। लेकिन नाटो प्रमुख के बयान से यह संकेत जरूर मिलता है कि भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी भूमिका को लेकर सजग है और कूटनीतिक स्तर पर सतर्कता से कदम बढ़ा रहा है।नाटो प्रमुख के इस बयान ने वैश्विक राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। यदि यह दावा सच है, तो यह भारत की रणनीतिक सोच और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित रखने की एक चतुर चाल हो सकती है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर नई जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।
