Zomato को क्यों मिला 803 करोड़ का भारी-भरकम नोटिस? कंपनी के शेयरों पर नहीं दिखा कोई असर,जानिए पूरा मामला…

जोमैटो (Zomato) ने वित्त वर्ष 2024 में 351 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उसे 429 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। GST कानून के मुताबिक, फूड डिलीवरी को एक सेवा के रूप में माना जाता है, जिस पर 18% टैक्स लगाया जा सकता है।

Aanchal Singh
Zomato

Zomato: फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) डिपार्टमेंट से 803 करोड़ रुपए का टैक्स डिमांड नोटिस मिला है। यह नोटिस साल 2019 से 2022 तक की अवधि के लिए जारी किया गया है, जिसमें जुर्माना और ब्याज भी शामिल है। इस नोटिस के बाद फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म और उनके द्वारा कलेक्ट की जाने वाली डिलीवरी फीस पर टैक्स के मुद्दे पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। जोमैटो ने इस नोटिस के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है और कहा है कि वह इसका कानूनी तौर पर विरोध करेंगे।

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जोमैटो का शुद्ध लाभ और GST कानून

जोमैटो का शुद्ध लाभ और GST कानून

बताते चले कि, जोमैटो (Zomato) ने वित्त वर्ष 2024 में 351 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था, जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उसे 429 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। GST कानून के मुताबिक, फूड डिलीवरी को एक सेवा के रूप में माना जाता है, जिस पर 18% टैक्स लगाया जा सकता है। सरकार का मानना है कि चूंकि जोमैटो जैसी प्लेटफॉर्म सेवा शुल्क (Service Tax) एकत्र करती हैं, इसलिए उन्हें इस पर टैक्स का भुगतान करना चाहिए। जीएसटी अधिकारी डिलीवरी को एक सेवा मानते हैं, जिससे जोमैटो द्वारा 2019 से 2022 तक एकत्र किया गया सेवा शुल्क टैक्स के अधीन आता है।

जोमैटो और अन्य डिलीवरी कंपनियों का तर्क

जोमैटो और अन्य डिलीवरी कंपनियों का तर्क

वहीं, डिलीवरी कंपनियों का तर्क है कि जो डिलीवरी शुल्क वे ग्राहकों से लेते हैं, उसे वे डिलीवरी पार्टनर्स को भुगतान कर देती हैं। कई बार ग्राहकों से डिलीवरी शुल्क लिया ही नहीं जाता या डिस्काउंटेड शुल्क लिया जाता है, लेकिन इस स्थिति में भी डिलीवरी पार्टनर्स को प्रति किलोमीटर शुल्क के आधार पर भुगतान किया जाता है। कंपनियां यह अतिरिक्त बोझ खुद उठाती हैं। इसलिए उनका कहना है कि डिलीवरी शुल्क पर टैक्स लगाना उचित नहीं है, क्योंकि इसका भुगतान अंततः डिलीवरी पार्टनर्स को किया जाता है।

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नए GST नियम और अस्पष्टता

नए GST नियम और अस्पष्टता

1 जनवरी, 2022 से स्विगी, जोमैटो (Zomato) जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले GST कलेक्ट करने और उस पर टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। हालांकि, डिलीवरी फीस पर टैक्स की स्थिति अब भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। उद्योग संगठनों ने जीएसटी काउंसिल से अनुरोध किया है कि वह इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करें कि डिलीवरी फीस पर टैक्स लगना चाहिए या नहीं, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

पिछले साल का मामला

इससे पहले, दिसंबर 2023 में जोमैटो (Zomato) को 326.8 करोड़ रुपये का GST नोटिस भी मिला था। अब, 803 करोड़ रुपये के नए नोटिस के साथ यह मामला और जटिल हो गया है। जोमैटो के खिलाफ जारी टैक्स डिमांड और इसके साथ जुड़े विवादों से फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के कारोबार पर असर पड़ सकता है, और यह सवाल उठाता है कि इस इंडस्ट्री की टैक्स नीति कितनी स्पष्ट है।

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