Burevestnik Missile: रूस ने फिर एक बार दुनिया को अपनी सैन्य ताकत से दहला दिया है। हाल ही में रूस ने अपनी अत्याधुनिक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल ‘बुरेवेस्तनिक’ (Burevestnik) का सफल परीक्षण किया है। नाटो देश इसे ‘स्काईफॉल’ (Skyfall) के नाम से जानते हैं। यह मिसाइल इतनी शक्तिशाली है कि इसे “तबाही का दूसरा नाम” कहा जा रहा है। रूस का दावा है कि यह मिसाइल किसी भी मौजूदा या भविष्य के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता रखती है।
क्या है बुरेवेस्तनिक मिसाइल की खासियत?
बुरेवेस्तनिक दुनिया की पहली न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल मानी जा रही है। जहां आम मिसाइलें सीमित ईंधन के कारण कुछ घंटों या हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर पाती हैं, वहीं यह मिसाइल “असीमित रेंज” रखती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह 14,000 से 20,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकती है और कई दिनों तक हवा में रह सकती है।इस मिसाइल में लगा परमाणु रिएक्टर इंजन इसे ऊर्जा देता है। इसकी वजह से इसे किसी ईंधन की जरूरत नहीं होती और यह लगातार दिशा बदलते हुए रडार सिस्टम से बचकर उड़ान भर सकती है।
‘तूफानी पक्षी’ का मतलब है बुरेवेस्तनिक
‘बुरेवेस्तनिक’ शब्द रूसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “तूफान की आहट देने वाला पक्षी”। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह मिसाइल आने वाले समय में रूस की रक्षा प्रणाली की रीढ़ साबित होगी और किसी भी वैश्विक खतरे का जवाब देने में सक्षम है।
रडार से बच निकलने वाली मिसाइल
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मिसाइल 7 से 8 मीटर लंबी है और लगभग 1300 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ती है। यह सिर्फ 50 से 100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है, जिससे रडार इसे ट्रैक नहीं कर पाते। यही वजह है कि रूस इसे “अजेय हथियार” बता रहा है। रूस का कहना है कि यह THAAD, Aegis जैसे अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी मात दे सकती है।
‘फ्लाइंग चेर्नोबिल’ का खतरा
इस मिसाइल का सबसे खतरनाक पहलू इसका न्यूक्लियर इंजन है। अगर उड़ान के दौरान इसमें कोई तकनीकी खराबी आ जाए, तो यह रेडियोएक्टिव लीक का कारण बन सकती है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने इसे ‘फ्लाइंग चेर्नोबिल’ कहा है, क्योंकि यह पर्यावरण और मानव जीवन दोनों के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।
रूस की ‘अजेय हथियार’ नीति का हिस्सा
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि बुरेवेस्तनिक रूस की उस नई सैन्य नीति का हिस्सा है जिसके तहत देश को “अजेय रक्षा शक्ति” बनाया जा रहा है। यह मिसाइल रूस की हाइपरसोनिक मिसाइल ‘अवनगार्ड’ और ‘किंझाल’ के बाद तीसरा बड़ा हथियार है, जो विश्व शक्ति संतुलन को बदल सकता है। रूस का यह कदम न केवल तकनीकी दृष्टि से अहम है बल्कि यह अमेरिका और नाटो देशों के लिए भी एक सीधा संदेश है कि रूस अब किसी भी सैन्य चुनौती का जवाब देने में सक्षम है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूक्लियर प्रोपल्शन मिसाइल जितनी शक्तिशाली है, उतनी ही खतरनाक भी है।

