Wi-Fi: आपकी हर हरकत पर नजर रखेगा Wi-Fi, जानिए कैसे…

Neha Mishra
Wi-Fi
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Wi-Fi: क्या आपने कभी सोचा है कि, बिना कैमरे, माइक्रोफोन या स्मार्टफोन की मदद से आप ये जान सकते हैं कि आप क्या Activity कर रहें हैं ..तो हां सिर्फ Wi-Fi सिग्नल्स के माध्यम ले आप ये जान सकते हैं। यह किसी साइंस फिक्शन जैसी बात लग सकती है, लेकिन इटली की La Sapienza University of Rome के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत में बदल दिया है।उन्होंने एक नई तकनीक विकसित की है जिसका नाम है WhoFi। यह तकनीक केवल Wi-Fi सिग्नल्स में होने वाले बदलावों के ज़रिए इंसानों की मौजूदगी और पहचान का पता लगा सकती है।

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कैसे करता है काम?

कैसे करता है काम?

वहीं दूसरी तरफ अगर बात करें इसके काम की जब Wi-Fi सिग्नल किसी कमरे में फैलते हैं, तो वे वहां मौजूद दीवारों, फर्नीचर और इंसानों जैसी वस्तुओं से टकराते हैं या उनमें समा जाते हैं। हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट, जैसे उसकी लंबाई, शरीर का आकार और चलने की शैली, इन सिग्नल्स को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है। इसी सिद्धांत पर आधारित है एक उन्नत तकनीक जिसका नाम है WhoFi

यह सिस्टम Wi-Fi सिग्नल्स की “एम्प्लीट्यूड” और “फेज़” जैसे तकनीकी पहलुओं को रिकॉर्ड करता है और फिर न्यूरल नेटवर्क की मदद से व्यक्ति के मूवमेंट और पहचान को ट्रैक करता है। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को परखने के लिए NTU-Fi नामक एक मानक डेटा सेट का इस्तेमाल किया, जिसे Wi-Fi आधारित पहचान प्रणालियों के परीक्षण के लिए प्रयोग किया जाता है। परिणामस्वरूप, WhoFi ने 95.5% तक की सटीकता के साथ यह पहचान लिया कि एक ही व्यक्ति अलग-अलग कमरों में कैसे चलता है। यह तकनीक न सिर्फ विज्ञान की दिशा में एक बड़ी छलांग है, बल्कि भविष्य में सुरक्षा और स्मार्ट होम टेक्नोलॉजी में भी इसका बड़ा उपयोग हो सकता है।

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माइक्रोफोन के बिना भी ट्रेकिंग possible…

आपको बता दें कि, इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह न तो किसी की तस्वीर लेती है और न ही आवाज़ रिकॉर्ड करती है। इसी कारण इसे अधिक “प्राइवेसी-फ्रेंडली” माना जा रहा है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि इससे जुड़े खतरे पूरी तरह समाप्त हो गए हैं। चूंकि यह सिस्टम बिना किसी की जानकारी के किसी व्यक्ति की उपस्थिति या उसकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है, इसलिए यह निजता (privacy) और सहमति (consent) से जुड़े कई गंभीर नैतिक सवाल खड़े करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीक किसी का बायोमेट्रिक डेटा या सीधे तौर पर कोई व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा नहीं करती। फिर भी, यदि यह सिस्टम गलत हाथों में चला जाए, तो इसका इस्तेमाल चोरी-छुपे निगरानी जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है—चाहे वह घर हो, दफ्तर हो या फिर कोई सार्वजनिक स्थान।

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